कुल पृष्ठ दर्शन : 405

You are currently viewing मेरा भारत

मेरा भारत

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
******************************************

‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष……..

देश हमारा धरती अपनी हम धरती के लाल,
इस धरती की दुनियाभर में मिलती नहीं मिसाल।

हुए अवतरित इस धरती पर अपने बाल गोपाल,
राम कृष्ण महावीर बुद्ध से हुए यहाँ पर लाल।

कितनी पावन है ये धरती कितना भाग्य विशाल,
सबसे पहले अरुण चमकता है भारत के भाल।

बेटों की कुर्बानी से माताएँ हुईं निहाल,
उनके बलिदानों से ही आजादी हुई बहाल।

बागडोर इसकी वीरों ने रखी सदा संभाल,
चूम गले में फंदा डाला मन में नहीं मलाल।

आजादी के कितने नायक हो गए यहां हलाल,
कैसे हैं ये लोग,उठाते उन पर आज सवाल।

कितना लहू बहा वीरों का आता नहीं ख़याल,
कितने ही बलिदान हो गए लाल बाल औ पाल।

द्वेष और कटुता सारी दें मन से सभी निकाल,
करे नमन उन बलिदानों को सभी झुका कर भाल॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है

Leave a Reply