ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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गोल-गोल है उसकी आँखें,
हरी मुलायम उसकी पाँखें।
लाल-लाल दो उसकी चोंचें,
हरिया करता हरदम लोचे।
राम-राम कहता रहता है,
बिट्टू सँग खेला करता है।
पिंजरे जाता-बाहर आता,
यही खेल उसको है भाता।
टें टें करता मिर्ची खाता,
देख नए लोग डर जाता।
गा गा कहता मिट्ठू-मिट्ठू,
मेरा मिट्ठू बड़ा निखट्टू॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।