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मेरी जिंदगी के रंग में

संदीप धीमान 
चमोली (उत्तराखंड)
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शिक्षक:मेरी ज़िंदगी के रंग’ स्पर्धा विशेष…..

मेरी जिंदगी के रंग में
शिक्षक रहे संग में,
भरा ज्ञान का प्रकाश
जीऊं जो तरंग में।

स्नेहभरा क्रोध था
प्यार-सा वो बौद्ध था,
ज्ञान का दीया जले
हर शिष्य में शोध था।

आधार वो बना गए
सींचना हमें है अब,
उर वाटिका बना गए
महकना हमें है अब।

गुरु थे इस लोक के
रुह गुरु मेरी बना गए,
शिष्य को गुरु यहां
भविष्य का बना गए।

ज्ञान-ध्यान जगा गए
स्नेह से,कभी व्यंग्य में।
मेरी जिंदगी के रंग में,
शिक्षक रहे संग में॥

परिचय- संदीप धीमान का जन्म स्थान-हरिद्वार एवं जन्म तारीख १ मार्च १९७६ है। इनका साहित्यिक नाम ‘धीमान संदीप’ है। वर्तमान में जिला-चमोली (उत्तराखंड)स्थित जोशीमठ में बसे हुए हैं,जबकि स्थाई निवास हरिद्वार में है। भाषा ज्ञान हिन्दी एवं अंग्रेजी का है। उत्तराखंड निवासी श्री धीमान ने इंटरमीडिएट एवं डिप्लोमा इन फार्मेसी की शिक्षा प्राप्त की है। इनका कार्यक्षेत्र-स्वास्थ्य विभाग (उत्तराखंड)है। आप सामाजिक गतिविधि में मानव सेवा में सक्रिय हैं। लेखन विधा-कविता एवं ग़ज़ल है। आपकी रचनाएँ सांझा संग्रह सहित समाचार-पत्र में भी प्रकाशित हुई हैं। लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा व भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करना है। देश और हिन्दी भाषा के लिए विचार-‘सनातन संस्कृति और हिन्दी भाषा अतुलनीय है,जिसके माध्यम से हम अपने भाव अच्छे से प्रकट कर सकते हैं,क्योंकि हिंदी भाषा में उच्चारण का महत्व हृदय स्पर्शी है।

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