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मेला

दीपक शर्मा

जौनपुर(उत्तर प्रदेश)

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मेला आया भाई मेला आया,
चाट-पकौड़े का ठेला आया…
कितना सुंदर कितना प्यारा,
त्योहार बड़ा अलबेला आया।

सजी खिलौने की दुकान,
एक से बढ़कर एक सामान…
रंग-बिरंगे गुब्बारों से,
ढक गया है आसमान।

सर्कस और मदारी देखो,
जोकर और जुआरी देखो…
तरह-तरह के झूले देखो,
सारी छवि न्यायी-न्यारी देखो।

हम सब पहले केले खाए,
फिर जायकेदार छोले खाए…
घूम लिए जब सारा मेला,
हँसते-हँसते घर चले आए॥

परिचय-दीपक शर्मा का स्थाई निवास जौनपुर के ग्राम-रामपुर(पो.-जयगोपालगंज केराकत) उत्तर प्रदेश में है। आप काशी हिंदू विश्वविद्यालय से वर्ष २०१८ में परास्नातक पूर्ण करने के बाद पद्मश्री पं.बलवंत राय भट्ट भावरंग स्वर्ण पदक से नवाजे गए हैं। फिलहल विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।आपकी जन्मतिथि २७ अप्रैल १९९१ है। बी.ए.(ऑनर्स-हिंदी साहित्य) और बी.टी.सी.( प्रतापगढ़-उ.प्र.) सहित एम.ए. तक शिक्षित (हिंदी)हैं। आपकी लेखन विधा कविता,लघुकथा,आलेख तथा समीक्षा भी है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ व लघुकथा प्रकाशित हैं। विश्वविद्यालय की हिंदी पत्रिका से बतौर सम्पादक भी जुड़े हैं। दीपक शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-देश और समाज को नई दिशा देना तथा हिंदी क़ो प्रचारित करते हुए युवा रचनाकारों को साहित्य से जोड़ना है।विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको लेखन के लिए सम्मानित किया जा चुका है।

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