संदीप धीमान
चमोली (उत्तराखंड)
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राम नाम का ध्यान करो
करो ना अपना मान,
मैं न होता तो क्या होता सोच,
करो न तुम अभिमान।
दास है हम सब राम के
कहे वीर हनुमान,
नियती कराती काज यहां
काहे का स्वाभिमान।
त्रिकुटा बोली हनुमान से
आया स्वप्न मुझे ध्यान,
है आग लगाने आया
लंका,वानर तू ये जान।
रचि राम ने लीला अपनी
पहचान गए हनुमान,
आग लगी जब पूछ में
शब्द त्रिकुटा करते ध्यान।
अशोक वाटिका दृश्य
बैठ वृक्ष देख रहे हनुमान,
प्रताड़ना रावण देख रहे
देख रहे जानकी अपमान।
क्षणभर में मंदोदरी
रावण रोक रही है पाथ,
मैं ना होता तो क्या होता!
राम राखे सबका मान।
होइहि सोई जो राम रचि
कहे दास वीर हनुमान।
मैं ना होता तो क्या होता मत सोच,
यहां सबके दाता राम॥