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यार खोखले

शिवम द्विवेदी ‘शिवाय’ 
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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तू रहने दे तेरे बस का नहीं ये काम,क्यों लगा है जी-जान से,
जब मिलना नहीं कुछ ख़ास लगे न मन तेरा सकल बेजान है
ए मुसाफिर तू रुकने नाम न ले ये ताने तुझे भरपूर मिलेंगे,
राहों में तुझे कुछ मगरूर तो कुछ मजबूर जरूर मिलेंगेl
रख हौंसला तू जीत ले दिल को किसी के तू ले जीत किसी की प्रीत,
बन जा तू किसी की महकती मोहब्बत का राही चला इसी की रीत
बन के तू किसी की प्रीत का गुलाब,यूँ प्रेम की खुशबू उड़ा दे,
बन के तेरा दीवाना ये ज़माना,तेरी राहों में चल के तुझे उठा लेl
तू बन जा किसी के प्यार का पंछी,उड़ जा यूँ खुली फ़िज़ा में झूम के,
जुड़ जा किसी के मन से यूँ,रहे याद प्रेम उसका तुझे सब भूल के
उठा ले साथ एक हथियार मुसाफिर नाम कहते लोग प्यार है जिसका,
जीत ले उससे दुनिया,लिए उसके घूमता लिए तू प्यार है जिसकाl
न रख कोई वहम,तू करता जा अपने करम ले के नाम भोले का,
होगी जीत,खाएगा न मात कभी प्रीत से बस रखे जा तू मन भोले का
अकेले रहना जीना सीख ले,दोगले यार न पाल तू,
काम के ना यार खोखले,होती है जाली ये जात फालतूl
ये तो कहते रहेंगे…
तू रहने दे तेरे बस का नहीं ये काम,क्यों लगा है जी-जान से,
जब मिलना नहीं कुछ ख़ास लगे न मन तेरा सकल बेजान हैll

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