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योग-क्रांति है सुशासन क़ा आदर्श

ललित गर्ग
दिल्ली

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल देश एवं दुनिया में मुफ्त की सुविधाओं के लिए जाने जाते हैं। अब उन्होंने दिल्ली में रहने वाले लोगों के लिए नि:शुल्क योग कराने का निर्णय लिया है, क्योंकि आम आदमी का भागदौड़ की प्रदूषणभरी जिंदगी में शरीर, मन और आत्मा स्वस्थ नहीं है, ऐसे में योग उनकी बड़ी मदद कर सकेगा, ऐसा विश्वास है। निश्चित ही यह एक स्वागतयोग्य कदम है। राजनीति का मकसद सिर्फ सत्ता हासिल करना नहीं, बल्कि उन्नत एवं स्वस्थ जीवनशैली प्रदत्त करना भी है, इस दृष्टि से दिल्ली सरकार ने योग और ध्यान को जन आंदोलन बनाकर दिल्ली के घर-घर तक पहुंचाने का निर्णय लेकर सूझबूझ एवं आदर्श शासन-व्यवस्था का संकेत दिया है।
यह पूरे देश में अपने किस्म का पहला विलक्षण कार्यक्रम है, जिसके तहत सरकार लोगों को योग कराएगी। दिल्ली में नि:शुल्क सुविधाओं की आंधी का अनुकरण देश के अन्य प्रांतों की सरकारें भी करने लगी है, ठीक इसी तरह यदि दिल्ली सरकार की योग मुहिम को देखकर पूरे देश के अंदर भी योग शालाएं शुरु होती है तो घर-घर तक योग पहुंचेगा, लोगों का जीवन स्वस्थ, संतुलित एवं शांतिमय होगा।
भारतभूमि अनादिकाल से योग भूमि के रूप में विख्यात रही है। यहां का कण-कण, अणु-अणु न जाने कितने योगियों की योग-साधना से आप्लावित हुआ है। तपस्वियों की गहन तपस्या के परमाणुओं से अभिषिक्त यह माटी धन्य है। इसी भूमि पर कभी वैदिक ऋषियों एवं महर्षियों की तपस्या साकार हुई थी तो कभी भगवान महावीर, बुद्ध एवं आद्य शंकराचार्य की साधना ने इस माटी को कृतकृत्य किया था। साक्षी है यही धरा रामकृष्ण परमहंस की परमहंसी साधना की, साक्षी है यहां का कण-कण विवेकानंद की विवेक-साधना का, साक्षी है क्रांत योगी से बने अध्यात्म योगी श्री अरविन्द की ज्ञान साधना का और साक्षी है महात्मा गांधी की कर्मयोग-साधना का। योग साधना की यह मंदाकिनी न कभी यहां अवरुद्ध हुई है और न ही कभी अवरुद्ध होगी, क्योंकि पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अब श्री केजरीवाल जैसे शासक इसे जन-जन की जीवनशैली बनाने को तत्पर हुए हैं। निश्चित ही यह एक शुभ संकेत है। योग आन्दोलन की सार्थकता इसी बात में है कि सुधरे व्यक्ति, समाज व्यक्ति से, विश्व मानवता का कल्याण हो। सचमुच योग वर्तमान की सबसे बड़ी जरूरत है। लोगों का जीवन योगमय हो, इसी से युग की धारा को बदला जा सकता है। इसी से संतुलित इंसान बनने और अच्छा बनने की ललक पैदा होगी। योग मनुष्य ही नहीं, बल्कि राजनीतिक जीवन की विसंगतियों पर नियंत्रण का माध्यम है।
आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए दिल्ली की महत्वपूर्ण उपलब्धि और असफलता को २ बिन्दुओं में बताना हो तो दिल्ली की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी योग-क्रांति और असफलता होगी बढ़ता प्रदूषण। जहां तक व्यवस्था का प्रश्न है, यह दोनों ही बातें सही हैं। योग की ही भांति हमें प्रदूषण को ‘शून्य दर’ पर ले जाना होगा जिसके बिना सभी क्षेत्रों में हमारी तरक्की बेमानी मानी जाएगी। कोई भी राष्ट्र केवल व्यवस्था से ही नहीं जी सकता, उसका सिद्धांत पक्ष भी सशक्त होना चाहिए। किसी भी राष्ट्र की ऊंचाई वहां की इमारतों की ऊंचाई से नहीं मापी जाती, बल्कि वहां के नागरिकों के चरित्र से मापी जाती है। उनके काम करने के तरीके से मापी जाती है। हमारी सबसे बड़ी असफलता है कि आजादी के ७५ वर्षों के बाद भी राष्ट्रीय चरित्र, स्वस्थ जीवन-शैली नहीं दे पाए। राष्ट्रीय चरित्र का दिन-प्रतिदिन नैतिक हृास हो रहा है। हर गलत-सही तरीके से हम सब कुछ पा लेना चाहते हैं। अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए कर्त्तव्य को गौण कर दिया है। इस तरह से जन्मे हर स्तर पर भ्रष्टाचार ने राष्ट्रीय जीवन में एक विकृति पैदा कर दी है, लेकिन श्री केजरीवाल की इस दृष्टि से बरती जा रही सख्ती एवं दिल्ली को उन्नत व स्वस्थ जीवन-शैली देने का संकल्प एक प्रेरणा है, एक उजाला है।
मुख्यमंत्री श्री केजरीवाल ने आनंद कक्षा, उद्यमिता कक्षा और देशभक्ति कक्षा के प्रयोग किए एवं
विद्यालय पहले से बेहतर कर दिए हैं। लोगों को यकीन नहीं होता है कि दिल्ली में मुफ्त बिजली-पानी मिलता है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि अब लोग मुफ्त में तीर्थ यात्रा पर जा रहे हैं। दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक का प्रयोग भी सफल एवं स्वास्थ्य-क्रांति का प्रेरक बना, जिसकी हर जगह चर्चा है। किसी भी बीमारी के ईलाज के लिए पैसे की बगैर चिंता किए मुफ्त दवाई मिल रही है। छोटी सी खांसी से लेकर बड़ी शल्य चिकित्सा अगर ७०-८० लाख रुपए की भी होगी, तो सरकार इलाज का सारा खर्च उठा रही है। मुख्यमंत्री के ये दावे कुछ अनूठा करने के संकल्प, सुशासन के द्योतक है। फिर भले ही इनका मुफ्त सुविधाएं देने का प्रारूप बहस के केन्द्र में है। निश्चित तौर पर चर्चा के इस आदर्श प्रारूप को बढ़ावा देने में केजरीवाल की राजनीति, सूझबूझ एवं कौशल का बड़ा योगदान है।
क्या कोई सरकार इस तरह के प्रयोग कर सकती है ? आज योगिक विज्ञान जितना महत्वपूर्ण हो उठा है, इससे पहले इतना महत्वपूर्ण नहीं रहा। आज हमारे पास विज्ञान और तकनीक के तमाम साधन मौजूद हैं, जो दुनिया के विध्वंस का कारण भी बन सकते हैं। ऐसे में यह बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि हमारे भीतर जीवन के प्रति जागरूकता और ऐसा भाव बना रहे कि हम हर दूसरे प्राणी को अपना ही अंश महसूस कर सकें।
पातंजलि योगशास्त्र में योग का अर्थ चित्तवृत्ति-निरोध किया है। चित्त की वृत्तियों को रोककर एकाग्रता अथवा स्थिरता लाने को योग कहा है। वास्तव में इनका अर्थ मन, वचन, काया का निरोध कर एकाग्रता लाना व उनका आत्म-विकास के मार्ग में प्रवृत्ति करना है। अगर लोगों ने अपने जीवन का, जीवन में योग का महत्व समझ लिया और उसे महसूस कर लिया तो खासा बदलाव आ जाएगा।
दिल्ली सरकार की पहल एक महत्वपूर्ण कदम है, जो इस पूरी दिल्ली में मानव कल्याण और आत्मिक विकास की लहर पैदा कर सकता है। निश्चित ही उनकी योग-क्रांति दिल्ली के जीवन में विकास, सुख और शांति का माध्यम बनेगी।

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