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राजनीतिक आदर्शों की ऊंची मीनार थेअरूण जेटली

ललित गर्ग
दिल्ली

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लंबे समय से ऊतक कैंसर से जूझ रहे राजनीति के पुरोधा पुरुष,उत्कृष्ट राष्ट्रवादी, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली अब हमारे बीच नहीं रहे। वह ९ अगस्त से दिल्ली में अस्पताल में जिन्दगी एवं मौत के बीच जूझ रहे थे,आखिर मौत जीत गयी। एक संभावनाओं भरा राजनीतिक सफर ठहर गया। उनका निधन न केवल भाजपा के लिये,बल्कि भारतीय राजनीति के लिये एक गहरा आघात है, अपूरणीय क्षति है। वे भारतीय राजनीति में हमेशा एक सितारे की तरह टिमटिमाते रहेंगे। राजनीति और भाजपा के लिए उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। अपनी हाजिरजवाबी से विरोधियों को चित्त कर देने वाले और देशहित में नीतियां बनाने में माहिर जेटली का ६६ वर्ष का जीवन सफर राजनीतिक आदर्शों की ऊंची मीनार है। उनका निधन एक युग की समाप्ति है।
आज भाजपा जिस मुकाम पर है,उसे इस मुकाम पर पहुंचाने में जिन लोगों का योगदान है,उनमें अरुण जेटली अग्रणी हैं। उन्हें हम भारतीयता एवं भारतीय राजनीति का अक्षय कोष कह सकते हैं। वे चित्रता में मित्रता के प्रतीक थे,तो गहन मानवीय चेतना के चितेरे जुझारु,निडर,साहसिक एवं प्रखर व्यक्तित्व थे। वे एक ऐसे नेता थे,जिन्होंने अपने राजनीतिक भविष्य में कभी कोई लोकसभा चुनाव नहीं जीता,बावजूद उन्हें राजनीति का पुरोधा माना जाता है। वे भाजपा के संकट मोचक थे,हनुमान की भांति हर मुश्किल वक्त में वे हमेशा पार्टी के खेवनहार रहे हैं। मुश्किल संसद के अंदर हो या अदालत में या फिर आमजन के बीच,उन्होंने हर जगह अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। लाखों-लाखों की भीड़ में कोई-कोई जेटली जैसा विलक्षण एवं प्रतिभाशाली व्यक्ति जीवन-विकास की प्रयोगशाला मेें विभिन्न प्रशिक्षणों-परीक्षणों से गुजरकर महानता का वरण करता है,विकास के उच्च शिखरों पर आरूढ़ होता है और अपनी मौलिक सोच, कर्मठता,जिजीविषा,पुरुषार्थ एवं राष्ट्र-भावना से समाज एवं राष्ट्र को अभिप्रेरित करता है। वे भारतीय राजनीति का एक आदर्श चेहरा थे। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान कई नए अभिनव दृष्टिकोण, राजनीतिक सोच और कई योजनाओं की शुरुआत की। भाजपा में वे मूल्यों की राजनीति करने वाले नेता,कुशल प्रशासक, योजनाकार थे।
अरुण जेटली एक ऐसे जीवन की दास्तान है जिन्होंने अपने जीवन को बिन्दु से सिन्धु बनाया है। उनके जीवन की दास्तान को पढ़ते हुए जीवन के बारे में एक नई सोच पैदा होती है। जीवन सभी जीते हैं पर सार्थक जीवन जीने की कला बहुत कम व्यक्ति जान पाते हैं। जेटली के जीवन कथानक की प्रस्तुति को देखते हुए सुखद आश्चर्य होता है एवं प्रेरणा मिलती है कि किस तरह से दूषित राजनीतिक परिवेश एवं आधुनिक युग के संकुचित दृष्टिकोण वाले समाज में जमीन से जुड़कर आदर्श जीवन जिया जा सकता है, आदर्श स्थापित किया जा सकता है,और उन आदर्शों के माध्यम से देश की राजनीति, पारिवारिक,सामाजिक,राष्ट्रीय और वैयक्तिक जीवन की अनेक सार्थक दिशाएँ उदघाटित की जा सकती हैं। जेटली ने व्यापक संदर्भों में जीवन के सार्थक आयामों को प्रकट किया है, वे आदर्श जीवन का एक अनुकरणीय उदाहरण हैं,मूल्यों पर आधारित राजनीति को समर्पित एक लोककर्मी का जीवनवृत्त है। उनके जीवन से कुछ नया करने,कुछ मौलिक सोचने,राजनीति को मूल्य प्रेरित बनाने,सेवा का संसार रचने,सद्प्रवृत्तियों को जागृत करने की प्रेरणा मिलती रहेगी।
सही मायनों मे अरूण जेटली की राजनीतिक यात्रा १९७४ में शुरू हुई,जब उन्होंने देश की सबसे शक्तिशाली राजनीतिक पार्टी कांग्रेस और उसके भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के वर्चस्व के दौर में कॉलेज में भारतीय जनता पार्टी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बैनर तले चुनाव लड़ा, और जीत हासिल की। वे इस दौर में भारतीय राजनीति के कद्दावर नेता जय प्रकाश नारायण से खासे प्रभावित रहे। उन्होंने पांच दशक तक सक्रिय राजनीति की,अनेक पदों पर रहे,पर वे सदा दूसरों से भिन्न रहे। घाल-मेल से दूर,भ्रष्ट राजनीति में बेदाग,विचारों में निडर,टूटते मूल्यों में अडिग,घेरे तोड़कर निकलती भीड़ में मर्यादित। उनके जीवन से जुड़ी विधायक धारणा और यथार्थपरक सोच ऐसे शक्तिशाली हथियार थे जिसका वार कभी खाली नहीं गया। वे जितने राजनीतिक थे,उससे अधिक मानवीय एवं सामाजिक थे।
नरेन्द्र मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में सफल वित्त मंत्री रह चुके अरुण जेटली ने छात्र जीवन के दौरान शिक्षा के अलावा अन्य गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के दम पर कई उच्च सम्मान हासिल किए। वे जितने सफल जननायक थे,उतने ही कुशल पारिवारिक नेतृत्व के धनी थे।
लगातार बुलंदियों की तरफ निकल चुके जेटली के भविष्य की रफ्तार पर उस समय ब्रेक लगा,जब मई २००४ के आम चुनावों में एनडीए को हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद वे महासचिव के रूप में पार्टी की सेवा करने के लिए वापस आए और अपनी वकालत को भी जारी रखा।
१९८० से लगातार पार्टी में होने के बावजूद उन्होंने २०१४ तक कभी कोई सीधा चुनाव नहीं लड़ा। कांग्रेस उम्मीदवार से हार के
बावजूद इनके सियासी कद पर कोई फर्क नहीं पड़ा और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें वित्त मंत्री का अहम पद दिया गया। साथ ही गुजरात और फिर २०१८ में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुना गया।
अरुण जेटली को भाजपा का एक सुलझा हुआ और कद्दावर नेता माना जाता रहा है। भारत के वित्तमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई कड़े और बड़े फैसले लिए। जेटली ने अपनी सूझ-बूझ का परिचय देते हुए लोगों को इसके दूरगामी फायदे समझाए। वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने जीएसटी जैसे सुधार देश को दिए और जीएसटी के फायदे समझाए। उनका निधन एक आदर्श एवं बेबाक सोच की राजनीति का अंत है।
वे समर्पित-भाव से भाजपा के हर दायित्व, गतिविधि एवं योजना,जो उन्हें सुपुर्द की जाती थी,उसे सफलता तक पहुंचाने के लिये प्रतिबद्ध हो जाते थे। आपके जीवन की दिशाएं विविध एवं बहुआयामी थीं। आपके जीवन की धारा एक दिशा में प्रवाहित नहीं हुई, बल्कि जीवन की विविध दिशाओं का स्पर्श किया। यही कारण है कि कोई भी महत्त्वपूर्ण क्षेत्र आपके जीवन से अछूता रहा हो,संभव नहीं लगता। आपके जीवन की खिड़कियाँ समाज एवं राष्ट्र को नई दृष्टि देने के लिए सदैव खुली रही। उनकी सहजता और सरलता में गोता लगाने से ज्ञात होता है कि वे गहरे मानवीय सरोकार से ओतप्रोत एक अल्हड़ राजनीतिक व्यक्तित्व थे। बेशक जेटली अब इस दुनिया में नहीं हैं,लेकिन हमेशा भारतीय राजनीति के आसमान में एक सितारे की तरह टिमटिमाते रहेंगे।

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