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मैं नहीं गा सका गीत तुम्हारे…

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)

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मैं नहीं गा सका गीत तुम्हारे,
मीठे नहीं कर सका समुंदर खारे।
बटोरने में लगा रहा बिखरे मोती,
जो टूट कर बिखर गए हैं प्यारे॥
मैं नहीं गा सका गीत तुम्हारे…

मानवता बिलख रही चारों ओर,
फैला है आतंक का घना शोर।
सवा अरब बेटों की माँ भारती,
है दुःखी,सबके विचार है न्यारे॥
मैं नहीं गा सका गीत तुम्हारे…

क्षितिज व्याकुल,धरा है बेचैन,
देख दृश्य भारत माता के भीगे नैन।
चारों तरफ है एक ही पुकार कि,
कैसे जिंदा है मानवता के हत्यारे।
मैं नहीं गा सका गीत तुम्हारे…
मैं नहीं गा सका गीत तुम्हारे॥

परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’

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