प्रो. लक्ष्मी यादव
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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हिन्दी की बिन्दी…
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, वह समाज में रहकर ही जीवन यापन करता है, समाज में रहकर अपने कार्य को करता है। जीवन-यापन करने के लिए कुछ न कुछ कार्य अर्थात व्यापार, रोज़गार या काम करता है। एक-दूसरे की मदद से व्यापार करते हैं, सहकार करते हैं। इसी सहकारिता को बनाए रखने के लिए मनुष्य अपने विचारों का आदान-प्रदान करने हेतु भाषा या बोली का प्रयोग करता है। हमारे भारत जैसे बहुभाषी देश में अनेक भाषाएँ बोली जाती है, जैसे-पंजाबी, गुजराती, मराठी, मद्रासी आदि। सबकी अपनी- अपनी बोली और भाषा है, लेकिन इन सभी भाषाओं में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिन्दी भाषा है। सबसे सरल और सुंदर, जो देश के हर एक कोने में बोली जाती है। धीरे-धीरे हिन्दी भाषा सभी देशों में व्यापार स्थापित करने के लिए सबसे ज्यादा बोली जाने लगी। अपने आचार-विचार दूसरों तक सरलता से पहुँचाने लगे और हिंदी धीरे-धीरे पूरे देश में क्या, पूरे विश्व में बोली जाने लगी। प्रति वर्ष १० जनवरी को ‘विश्व हिंदी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है एवं विश्व में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। सभी सरकारी कार्य हिन्दी भाषा में किए जाते हैं। इस दिन विदेशों में अलग-अलग आयोजन किया जाता है। सभी विदेशी उसमें बहुत बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इसका एक ही उद्देश्य है कि, हिन्दी भाषा ज्यादा से ज्यादा बोली जाए और उसका अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो। हमारे भारत देश की शान हमारे भारत माँ की माथे की बिंदी हिन्दी ने आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सुन्दरता बिखेर दी है और लोगों में भाईचारे की भावना स्थापित की है। यह हमारी भारतीय संस्कृति की शान है और भारत माता के माथे की बिन्दी है।