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विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है गायत्री मंत्र

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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आज़कल बच्चों पर पढ़ाई का भार बहुत ज्यादा है, दिमाग क़ा प्रदर्शन बढ़ाने, जल्दी दिमागी आँकड़े की प्रक्रिया करने और याददाश्त शक्ति बढ़ाने के लिए कम समय में बच्चे क्या करें ? बच्चों को मदद करने के लिए अविभावक क्या करें ? लगभग इस तरह के प्रश्नों का समाधान खोजने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इसका उपाय नहीं मिल रहा है।
आइए आध्यात्म और विज्ञान के समन्वय से इसका हल निकालते हैं। आग जलने के लिए जिस प्रकार आक्सीजन चाहिए, वैसे ही दिमाग को सक्रिय रहने के लिए दिमागी ऑक्सीजन चाहिए।
एक मोमबत्ती कम ऑक्सीजन में जल सकती है, लेक़िन उत्सव या बड़े कार्य हेतु तो ढेर सारी ऑक्सीजन व ईंधन चाहिए। ऐसे ही सामान्य श्वांस समाचार पढ़ने व दैनिक पढ़ाई कार्य के लिए पर्याप्त है, लेकिन यदि स्पर्धा और परीक्षा की तैयारी करनी है तो दिमागी ऑक्सीजन किसी और तरीके से बढ़ानी होगी। इसके लिए प्राणायाम, ध्यान, साधना, गायत्री मंत्र जप, गायत्री मंत्र लेखन, माँ सरस्वती की आराधना आदि से दिमाग की सेवा करनी होगी। दिमाग को समृद्ध करने हेतु ये आध्यात्मिक उपाय कारगर सिद्ध हो सकते हैं। विज्ञान ने भी गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र की शक्ति का मूल्यांकन करके बताया है। अतः बच्चे को उक्त कार्य स्वयं करना चाहिए-
-प्रति दिन २४ बार गायत्री मंत्र लेखन करें,
-प्रति दिन १२ बार अनुलोम विलोम प्राणायाम करें, -प्रति दिन कम से कम १ बार सूर्य नमस्कार करें।
-कम से कम दिन में १०८ बार ग़ायत्री मन्त्र जपें। -इसे पढ़ाई से पहले या बीच-बीच में विराम के समय भी कर सकते हैं।
पढ़ाई के लिए मस्तिष्क का सक्रिय रहना और उसका पढ़ा हुआ आँकड़ा तेजी से प्रक्रिया करना जरूरी है। माता-पिता को बच्चे की पढ़ाई में सहयोग हेतु यह करना चाहिए-
-घर में तेज आवाज़ में बात न करें, टी.वी.-मोबाइल तेज आवाज में न चलाएं। फोन पर जोर-जोर से बात न करें, बच्चा पढ़ या सो रहा हो तो दूर जाकर बात करें।
-बच्चे को जब भी भोजन या कुछ भी खाने-पीने को दें तो एक बार ग़ायत्री मन्त्र पढ़ कर दें, और बच्चे को भी मंत्र बोलकर ग्रहण करने की प्रेरणा दें।
-जब भी दैनिक, साप्ताहिक या मासिक यज्ञ करें, उसमें इस मंत्र की ३ आहुतियां सम्मिलित कर दें-
‘ॐ भूर्भुवः स्व: ह्रीं ह्रीं ह्रीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात ह्रीं ह्रीं ह्रीं ॐ, स्वाहा” इदं सरस्वत्यै इदं न मम।’
-माता-पिता घर में बच्चे को लेकर व्यर्थ चिंता न करें अन्यथा घर की ऊर्जा चिंता से भरेगी व पढ़ाई को प्रभावित करेगी।
-माता-पिता बच्चे के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए मन ही मन भावना करें कि बच्चा सफल अवश्य होगा।
-घर में प्रसन्नता के साथ एक-दूसरे का सम्मान करें, व ख़याल रखें, मग़र एक-दूसरे से चिपके नहीं। अपितु उन्हें उनके हिसाब से थोड़ा स्थान दें।
-सप्ताह में एक बार किसी देवालय या सात्विकता भरे स्थान में बच्चों के साथ घूमने जाएं।
-घर में प्रार्थना को समुचित स्थान दें, अच्छी किताबें, अच्छे विचारों का आदान-प्रदान करते रहें।

परिचय–प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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