दिल्ली
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‘विश्व विरासत दिवस’ (१८ अप्रैल) विशेष…
‘विश्व धरोहर दिवस’ अथवा ‘विश्व विरासत दिवस’ मानव सभ्यता के इतिहास और विरासत को एक साथ सम्मान देने एवं ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षित करने के लिए हर साल १८ अप्रैल को मनाया जाता है। उद्देश्य सांस्कृतिक परिदृश्यों और संरचनाओं का जश्न मनाना और उन पर ध्यान आकर्षित करना है, जो व्यक्तियों, समुदायों और राष्ट्रों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को की पहल पर एक अंतर्राष्ट्रीय संधि की गई, जो विश्व के सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण हेतु प्रतिबद्ध है।
दुनिया के तमाम देशों में कई सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरें हैं, जिन्हें यूनेस्को ने विश्व विरासत घोषित किया है। इनमें से ८ ऐसी विश्व धरोहर हैं, जो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और लोकप्रिय हैं, जिनमें मिस्र में मौजूद गीज़ा का ‘ग्रेट पिरामिड’ आज भी रहस्य बना हुआ है। ४८१ फुट ऊँचा यह पिरामिड विश्व के ८ प्राचीन अजूबों में शामिल है और माना जाता है कि इसे चाँद से भी देखा जा सकता है। माचू पिच्चू, पेरू यह ऐतिहासिक स्थल पेरू की पहाड़ियों पर बसा है और रहस्यमयी और खूबसूरत माचू पिच्चू को ‘इंकाओं का खोया हुआ शहर’ भी कहा जाता है। चीन की महान दीवार दुनिया की सबसे लंबी दीवार है, जिसकी लंबाई करीब २१,१९६ किलोमीटर है। यह दीवार कई राजाओं और साम्राज्यों द्वारा रक्षा के लिए बनाई गई थी। ऐसे ही आगरा का ताजमहल मोहब्बत एवं प्रेम की सबसे खूबसूरत मिसाल है। इसे शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनवाया था। क्राइस्ट द रिडीमर, ब्राजील रियो डी जेनेरियो में स्थित यीशु की यह विशाल प्रतिमा ३० मीटर ऊँची है। यह प्रतिमा न सिर्फ धार्मिक प्रतीक है, बल्कि शहर का प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। पेट्रा, जॉर्डन रेगिस्तान के बीच स्थित पेट्रा शहर अपनी अनोखी लाल पत्थर की इमारतों और मंदिरों के लिए जाना जाता है। इसकी वास्तुकला और नक्काशी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। कोलोसियम, रोम (इटली) प्राचीन रोम के सम्राटों द्वारा बनवाया गया यह विशाल अखाड़ा कभी ग्लैडिएटरों की लड़ाई का गवाह था। यह आज भी विश्व धरोहर सूची में शामिल है। चिचेन इट्जा, मेक्सिको यह माया सभ्यता का प्रमुख धार्मिक स्थल रहा है। यहाँ बना ‘एल कैस्टिलो’ पिरामिड देखने लायक है। चिचेन इट्जा को मेक्सिको का सबसे संरक्षित पुरातात्विक स्थल माना जाता है।
भारत ऐतिहासिक, प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों से समृद्ध है। भारत में ४३ यूनेस्को आधारित विश्व धरोहर स्थल हैं। इनमें से ३५ सांस्कृतिक और ७ प्राकृतिक हैं और कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान मिश्रित स्थल है। ६२ अन्य संभावित सूची में हैं, यहाँ ऐतिहासिक स्थलों का खजाना है जो इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। २०२४ में असम से चराइदेव मोइदम विश्व धरोहर सूची में शामिल होने वाली नवीनतम भारतीय प्रविष्टि बन गई। अहोम राजघरानों के दफ़न टीलों में गुंबददार कक्ष हैं, जो अक्सर २-मंजिला होते हैं और जहां मेहराबदार मार्गों से पहुँचा जा सकता है।
‘विश्व विरासत दिवस’ सिर्फ हमारे जीवन में खुशियों के पलों को लाने में ही मदद नहीं करता, बल्कि यह देश के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का माध्यम भी है। यह पर्यटन को प्रोत्साहन देने का सशक्त माध्यम है। भारत की अर्थव्यवस्था पर्यटन-उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती रही है। भारत की विरासत विश्व में सबसे प्राचीन और समृद्ध विरासतों में से एक मानी जाती है। हज़ारों वर्षों से यह भूमि सांस्कृतिक, धार्मिक, प्राकृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अनेक महान परिवर्तनों एवं प्रगतियों की साक्षी रही है। भारतीय संस्कृति का इतिहास अत्यंत विविधतापूर्ण और बहुआयामी है, जिसने न केवल भारत बल्कि समग्र मानवता को गहराई से प्रभावित किया है। स्वतंत्रता के बाद देश को एक ऐसे रास्ते पर चलना था, जहाँ उसे पुनर्निर्माण के साथ-साथ आधुनिकता की ओर कदम बढ़ाना था। वर्तमान में भारत विश्व की प्रमुख आर्थिक एवं प्रौद्योगिकीय शक्तियों में से एक है, लेकिन यह यात्रा आसान नहीं थी। स्वतंत्रता के बाद भारत को न केवल अपने सामाजिक और आर्थिक ढाँचे को पुनर्स्थापित करना था, बल्कि उसे एक ऐसे लोकतांत्रिक देश का निर्माण करना था, जो अपने नागरिकों को समान अवसर और अधिकार प्रदान कर सके। भारत अपनी सुंदरता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
राजस्थान भारत का एक राज्य है जो विश्व विरासत का समृद्ध केन्द्र है, यह पर्यटन के लिए सबसे समृद्ध राज्य माना जाता है। राजस्थान की पुरातात्विक विरासत या सांस्कृतिक धरोहर केवल दार्शनिक, धार्मिक, सांस्कृतिक स्थल के लिए नहीं है, बल्कि यह राजस्व प्राप्ति का भी स्रोत है। यह देशीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों, दोनों के लिए एक सर्वाधिक आकर्षक पर्यटन स्थल है। भारत की सैर करने वाला हर तीसरा विदेशी सैलानी राजस्थान देखने ज़रूर आता है। जयपुर के महल, उदयपुर की झीलें और जोधपुर, बीकानेर तथा जैसलमेर के भव्य दुर्ग भारतीय और विदेशी सैलानियों के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक हैं। जयपुर का हवामहल, जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर के धोरे काफी प्रसिद्ध हैं। जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग, सवाई माधोपुर का रणथम्भोर दुर्ग एवं चित्तौड़गढ़ दुर्ग काफी प्रसिद्ध है।
यह दिवस केवल उत्सव मनाने का दिन नहीं है, बल्कि चिंतन, कार्रवाई और प्रतिबद्धता का दिन है। इस अवसर का उपयोग सभी के लाभ के लिए अपने सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक संरक्षण में योगदान देना है। यह वैश्विक आयोजन भविष्य की पीढ़ियों के लिए इन सांस्कृतिक, प्राकृतिक, ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित और सुरक्षित रखने के महत्व को पहचानने, दुनिया भर में उनकी सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक महत्व के लिए सराहना को बढ़ावा देने का अवसर है।