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शनै-शनै जों देते ज्ञान…

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
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शिक्षक दिवस दिवस…

शनै-शनै जो देते ज्ञान,
अज्ञानी को भी बनाते हैं ज्ञानवान
मूर्ख को भी जो बना देते हैं महान,
उनका करते हैं हम आज गुणगान।

५ सितम्बर को थे जन्मे राधाकृष्णन,
जन्म दिवस ही बना है शिक्षक दिवस
शिक्षक अपना सर्वश्रेष्ठ देते छात्रों को,
सुधारकर देते हैं बच्चों के जीवन को।

आगे चलकर वो बने द्वितीय राष्ट्रपति,
देश ने दिया उनको बड़ा उच्च सम्मान
जो शिक्षक बनाते हैं सभी को महान,
दुनिया करती सब उनका ही गुणगान।

डॉक्टर, इंजीनियर, पुलिस वही बनाते,
अपने सीधे-साधे मास्टर जी कहाते,
उपर से तो वो डांटते और फटकारते,
अंदर ही अंदर वो है बड़ा प्यार जताते।

बच्चे जो आदर करते हैं शिक्षक का,
जीवन ज्ञानमय सफल हो जाता उनका।
माँ-बाप, देश का नाम रौशन हैं करते,
‘दीनेश’ सर्वश्रेष्ठ महान हैं वह बनते॥

परिचय– दिनेश चन्द्र प्रसाद का साहित्यिक उपनाम ‘दीनेश’ है। सिवान (बिहार) में ५ नवम्बर १९५९ को जन्मे एवं वर्तमान स्थाई बसेरा कलकत्ता में ही है। आपको हिंदी सहित अंग्रेजी, बंगला, नेपाली और भोजपुरी भाषा का भी ज्ञान है। पश्चिम बंगाल के जिला २४ परगाना (उत्तर) के श्री प्रसाद की शिक्षा स्नातक व विद्यावाचस्पति है। सेवानिवृत्ति के बाद से आप सामाजिक कार्यों में भाग लेते रहते हैं। इनकी लेखन विधा कविता, कहानी, गीत, लघुकथा एवं आलेख इत्यादि है। ‘अगर इजाजत हो’ (काव्य संकलन) सहित २०० से ज्यादा रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपको कई सम्मान-पत्र व पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। श्री प्रसाद की लेखनी का उद्देश्य-समाज में फैले अंधविश्वास और कुरीतियों के प्रति लोगों को जागरूक करना, बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा देना, स्वस्थ और सुंदर समाज का निर्माण करना एवं सबके अंदर देश भक्ति की भावना होने के साथ ही धर्म-जाति-ऊंच-नीच के बवंडर से निकलकर इंसानियत में विश्वास की प्रेरणा देना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-पुराने सभी लेखक हैं तो प्रेरणापुंज-माँ है। आपका जीवन लक्ष्य-कुछ अच्छा करना है, जिसे लोग हमेशा याद रखें। ‘दीनेश’ के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-हम सभी को अपने देश से प्यार करना चाहिए। देश है तभी हम हैं। देश रहेगा तभी जाति-धर्म के लिए लड़ सकते हैं। जब देश ही नहीं रहेगा तो कौन-सा धर्म ? देश प्रेम ही धर्म होना चाहिए और जाति इंसानियत।