कुल पृष्ठ दर्शन : 121

You are currently viewing काल चक्र चलता रहेगा…

काल चक्र चलता रहेगा…

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

काव्य खण्ड कलयुग से…

तिल-तिल कर ही छूट रहा है, गत प्राचीन सभी मानक,
नगरों की वैभव ने लूटा, कर दिया मंद मति भ्रामक
सहज सरल सुंदर मनमोहक, जीवन ग्रामीण हमारा,
जिजीविषा को था दर्शाता, मनभावन रहा नज़ारा।

भूख जमा करने धन की नहीं, अनजान रहे धन घपला,
मोह नहीं थे हीरे-मोती, धन होता कंडा उपला
अनुकरणी थी ग्राम्य भावना, आपस का भाईचारा,
लोग थे अपने-अपने मालिक, कोई नहीं था बेचारा।

बिखरा था दृग छोर अनूप, रम्य रमणीक हरियाली,
क्रांकीट जंगल में रहते, अब रोते आँसू घड़ियाली
नैनों को देता शीतलता, खेत हमें लगता प्यारा।
खलिहान-खेत पशुधन ही थे, जीने का बना सहारा।

अपनी नेह थी प्रकृति लुटाती, दोनों हाथों गाँवों में,
पा कर भी खोया है मनुष्य, चक्र लगा जब पाँवों में
समझ परे कलयुग में आकर, मानव जीता या हारा,
फिर अवलोकन करना होगा, हमें प्रगति का दुबारा।

किंकरी बना है आज मनुज, कल पुर्जा मिल राज करे,
मेघा बुद्धि रीझने वाले, भूला कल का साज करे।
मीठे-मीठे खाने वाले, स्वाद भूल बैठे खारा,
चिंतित मन, मन कुरेदता चिंतन का नहीं गुजारा॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।