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शांति जी की हास्य-कविताएँ आज भी प्रासंगिक

लोकार्पण…

दिल्ली।

जब घरों में भी महिलाओं के खिल-खिलाकर हँसने पर पाबंदी थी, ऐसे समय में कवि-सम्मेलन के मंच पर यदि किसी स्त्री ने हास्य-रस की प्रस्तुति दी तो वह एकमात्र कवयित्री शांति अग्रवाल जी थीं। ‘शालीन हास्य’ डोरी पर चलने के समान है। आँसू को आँसू के रूप में लिखना बड़ी बात है, लेकिन हास्य के रूप में परिवर्तित कर सामने रखना बहुत बड़ी बात है। अच्छा और शालीन हास्य लिखने के लिए शांति अग्रवाल जी के पास वह विशेष दृष्टि थी। उनकी हास्य कविताएँ शालीन हैं और आज भी प्रासंगिक हैं।
यह विचार हास्य के लिए भी प्रतिष्ठित कवयित्री डॉ. कीर्ति काले ने व्यक्त किए। अवसर था श्रीमती शांति अग्रवाल रचित हास्य कविताओं की पुस्तक ‘नहीं खोपड़ी में कुछ आई’ के लोकार्पण का। मुख्य वक्ता डॉ. काले ने पुस्तक में से श्रीमती अग्रवाल की बहुत ही लोकप्रिय कविता ‘कवि की पत्नी’ का सस्वर पाठ भी किया। दिल्ली में केन्द्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रेक्षा गृह में आयोजित भव्य समारोह में कवि-सम्मेलनीय मंचों की प्रथम हास्य कवयित्री श्रीमती शांति अग्रवाल द्वारा रचित उक्त पुस्तक का संपादन पुत्री व कवयित्री डॉ. पूनम अग्रवाल ने किया है। आपने बताया कि इसमें उनकी बड़ी बहन लेखिका-कवयित्री डॉ. रंजना अग्रवाल का बहुत योगदान है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष श्रीमती इंदिरा मोहन ने की। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. लक्ष्मी शंकर वाजपेयी तथा साहित्य अकादमी के उप-सचिव डॉ. देवेंद्र कुमार ‘देवेश’ रहे। वरिष्ठ गीतकार डॉ. धनंजय सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार व सम्पादक श्रीमती सरिता गर्ग ‘सरि’ (जयपुर), वरिष्ठ समालोचक डॉ. शकुंतला कालरा तथा वरिष्ठ साहित्यकार-संपादक डॉ. कुसुम लता सिंह भी उपस्थित हुए। वर्ष २०२३ में शांति जी के परिवार द्वारा स्थापित ‘शांति अग्रवाल एसोसिएशन फ़ॉर आर्ट म्यूज़िक एंड लिटरेचर (सामल) के अंतर्गत यह कार्यक्रम किया गया। इस अवसर पर डॉ. वाजपेयी ने कहा कि आज कवियों की भरमार है, परंतु हास्य-कविता में न कविता दिखाई पड़ती है और न हास्य। ऐसे में शांति जी की हास्य-कविताओं की अच्छी पुस्तक आई है। कार्यक्रम की अध्यक्ष श्रीमती मोहन ने कहा कि इस तरह के प्रयास सबके लिए उदाहरण हैं कि साहित्यिक थाती को किस तरह संजोया जाए।