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शिक्षक का आदर्श राम जैसा

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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जीवन चक्र बड़ा अनमोल,
सद्गुरु के बिना जीवन का ना मोलl

दिन-रात जीवन गाड़ी के पहिए,
मन है जीवन इंजन,जीवन ड्राइवर आत्मा
सद्गुरु की परा विद्या की सीख,
ड्राइवर का है दिशा-निर्देशl

यह सीख डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण ने पाई,
शिक्षा की खातिर शिक्षक को सम्मान मिले
जन्मदिवस उनका मनाया शिक्षक दिवस,
शिक्षक का हो सम्मान यही शिक्षा की पहचान।

शिक्षक का आदर्श राम जैसा,
गुरू हो श्री कृष्ण जैसा
चरित्र की मिसाल में हो,
वीर शिवाजी जैसाl

लक्ष्य लेकर अर्जुन का निरन्तर कर ध्यान,
भ्रष्ट मुक्त शिक्षा हो हमारी,ऐसा करे उपचार
स्वयं में परिवर्तन लाना सद्शिक्षा की पहचान,
शिक्षक वही कहलाता सदभावना का करें प्रकाशl

शिक्षा का सौदा ना करें,शिक्षा ना व्यापार,
शिक्षार्थी को सेवार्थी बनाएँ,शिक्षक का हो जीवन महान
भारतमाता की गरिमा को बढ़ाना,
संदेश ऋषि-मुनियों का फैलानाl

शिक्षक के कर्तव्य का मूल आधार,
निज स्वार्थ का हो त्यागl
शोषक-पोषक बनें,सद्शिक्षा का प्रचार,
तब शिष्य-शिक्षक हो जीवन निहालll

परिचय-सुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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