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शिक्षक की महिमा..

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)

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वे ऐसा काम करते हैं सभी गुणगान करते हैं,
हमें अमरित पिला कर खुद जो अमरित पान करते हैं,
कि उनके पाँव अक्सर शब्द मेरे चूमते रहते-
बहुत ही पूज्य गुरुवर हैं कि विद्या दान करते हैं।

अशिक्षा का जो होता है वो घेरा चीर देते हैं,
वे तेरा ही नहीं,अज्ञान मेरा चीर देते हैं,
कि शिक्षक दीप ऐसे हैं हमें रस्ता दिखाने को-
उजाले की किरण से हर अँधेरा चीर देते हैं।

न होती झोपड़ी कोई,न ईंटों के ही घर होते,
न उड़ते आसमाँ में हम तरक्की में सिफ़र होते,
ये शिक्षक की ही महिमा है कि जग में राज करते हैं-
अगर होती नहीं शिक्षा तो हम भी जानवर होते।

परिचय-वकील कुशवाहा का साहित्यिक उपनाम आकाश महेशपुरी है। इनकी जन्म तारीख २० अप्रैल १९८० एवं जन्म स्थान ग्राम महेशपुर,कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)है। वर्तमान में भी कुशीनगर में ही हैं,और स्थाई पता यही है। स्नातक तक शिक्षित श्री कुशवाहा क़ा कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षक)है। आप सामाजिक गतिविधि में कवि सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक बुराईयों पर प्रहार करते हैं। आपकी लेखन विधा-काव्य सहित सभी विधाएं है। किताब-‘सब रोटी का खेल’ आ चुकी है। साथ ही विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आपको गीतिका श्री (सुलतानपुर),साहित्य रत्न(कुशीनगर) शिल्प शिरोमणी सम्मान(गाजीपुर)प्राप्त हुआ है। विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी से काव्यपाठ करना है। आकाश महेशपुरी की लेखनी का उद्देश्य-रुचि है।

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