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संस्कार विहीन नारी

सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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आज की नारी शातिर, उस्ताद हुई,
यह तो बदहवास हुई
थी नारायणी,‌ बेरहम ‌हुई,
आधुनिकता के नाम, बेलगाम हुई।
आज की आधुनिक-नारी संस्कार- विहीन हुई…

सहनशीलता त्याग पासा पलट रही,
क्षमा, दया, ममता त्याग बेदर्द हुई
शान-शौकत के नाम, पगड़ी उछाल रही,
साक्षर, बेहया बेपढ़ बेवफा हुई।
आज की आधुनिक-नारी संस्कार- विहीन हुई…

सीता, सावित्री अनुसूईया,
उर्मिला, सुलक्षणा, सुनीति… मृत्युंजय
आज, काल को सौंप रही,
गहन चिंतन कर! कहाँ तू जा रही ?
आज की आधुनिक नारी संस्कार- विहीन हई…

स्वजन, निज वतन लिए,
लहरा परचम, रणचंडी बनी
आज अपने घर, अपनों को भेद रही,
घिनौना कृत्य कर भाग, मैला आँचल कर रही।
आज की आधुनिक-नारी संस्कार- विहीन हुई…

मन विह्वल रूह विचलित,
क्यों ‌? विवेकहीन दुश्चरित्र रची ?
व्यालिनी, ‌अतिरेक दंभी, बेपरवाह बनी,
बावली, बगावत कर, ओ मन की मीत धरी।
आज की आधुनिक नारी-संस्कार-विहीन हुई…

कलंकित कर रही स्त्री तू भटक गई,
संतति, जननी पापी दुश्चारिणी हुई दुर्नीति में पड़, दुर्दिन ला रही
पूर्व जन्म, हिसाब-बराबर रच रही ? आज की आधुनिक-नारी संस्कार-विहीन हुई…

आधुनिकीकता ? धार, विपरीत बह रही,
हाय, जमाने की हवा कातिल हुई
अंधी दौड़, सर्व-लुटा बेगैरत हुई।
देव ! सद्बुद्धि-सद्मार्ग, लाचार आह निकल रही,
आज की आधुनिक-नारी संस्कार-विहीन हुई…॥

परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।