ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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आया मनभावन बसंत…
निकल रही है स्वर्ण किरणें,
मन चंचल चित चोर हुआ
सुगन्धित हुआ गगन मंडल,
बसंत आगमन का शोर हुआ।
गूँज रहा कोकिल आलाप,
कुसुम लता बल खा रही
प्रफुल्लित हुआ अलि कुनबा,
सरिता गीत गुनगुना रही।
सुगन्धित धरा चहुँओर हुईं,
हुआ मलयानिल संचार
दुल्हन-सी सजी है धरणी,
पहन नव सुमनों का हार।
मंडरा रहे हैं मदमस्त भँवरे,
प्रलोभन का है लोलुप भाव
नशा चढ़े लोचन घूर रहें,
मंजरी मंजुलता का चाव।
नवपल्लव पहन प्रकृति,
कर रही है मधुर श्रृंगार।
मिली धरा अम्बर के संग,
यही है नव जीवन आधार॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।