संदीप धीमान
चमोली (उत्तराखंड)
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सबके प्रिय भोले (शिवरात्रि विशेष)….
सबके प्रिय भोले मेरे
बनें प्रिय हम तेरे कैसे,
प्रीत निभाएं ऊपर-ऊपर
भीतर हम जैसे के तैसे।
नाम शिव जपता हूँ तेरा
झूठ उपवास रखता हूँ तेरा,
अन्न से भूखा, झूठ से भरा हूँ
सत्य से प्रीत निभाऊं कैसे!
आराधना है, अनुराग नहीं है
राग है, मनुहार नहीं है,
उपासना में वासना है
साधना को शिव जाऊं कैसे!
ढोल बजाऊं, मंत्र मैं गाऊं
दया-दान मैं सब निभाऊं,
सत्कर्मों पर फल की इच्छा
दर ले कर जाऊं, ऐसे कैसे!
त्याग में, बलिदान में,
वैराग में अभिमान है।
द्वार शिव चढ़ जाऊं कैसे,
तभी तो हम जैसे के तैसे॥