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सफलता-शिखर का वाहक शिक्षक

विजय किशोर तिवारी
जनकपुरी (दिल्ली)
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शिक्षक समाज का दर्पण…

भारतवर्ष में शिक्षक को ‘आचार्य’ की उपाधि प्राप्त है। अर्थात भारत में शिक्षक से यह उम्मीद की जाती है कि वह छात्रों को ‘आचरण-युक्त’ शिक्षा प्रदान करे। शिक्षक छात्रों को ज्ञान, नैतिकता, व्यवहार कुशलता के साथ योग्यता भी प्रदान करता है, जिसके कारण एक आदर्श मानव समाज की स्थापना में शिक्षक की भूमिका काफी हद तक बढ़ जाती है। शिक्षक का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि वह अपने छात्रों के भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका अदा करता है। छात्रों में नैतिक मूल्य को आत्मसात करवाने में शिक्षक की काफी महत्वपूर्ण भूमिका हो जाती है।
कक्षा और किताबों से परे शिक्षक का प्रभाव हमारे समाज तक फैला हुआ है। युवा मन को ढालने व आवश्यक मूल्यों को स्थापित करने हेतु शिक्षक सामाजिक चुनौतियों से निपटने में अहम भूमिका अदा करता है। एक प्रभावी शिक्षक अच्छे नागरिक को विकसित करने तथा उसके अंदर लोकतांत्रिक मूल्यों के विकास करने में अपना बेहतरीन योगदान देता है।
शिक्षक ही भावी पीढ़ी के अंदर आलोचनात्मक विचारकों और चिंतन, प्रभाव, समस्या समाधान और सामाजिक मुद्दों की गहरी समझ में अपना योगदान देता है। शिक्षक सिर्फ एक शब्द नहीं होता, बल्कि अपने-आपमें ज्ञान तथा संस्कार की पाठशाला है, जो हमारे अंदर नवीन आदर्शों का विकास करता है।
शिक्षक छात्रों में आत्मविश्वास पैदा करता है, चुनौतियों का सामना करने, स्वयं को अभिव्यक्त करने तथा अपने समुदाय में सक्रिय योगदान देने में अपनी योग्यता का प्रयोग करता है।
शिक्षक की भूमिका इसलिए भी आचार्य की है, क्योंकि वह अपने छात्रों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। शिक्षक छात्रो को क्रोध, शत्रुता और अन्य चरम भावनाओं को कम करने जैसे व्यवहार संबंधित मुद्दों पर मार्गदर्शन करता है। नतीजतन वह छात्रों को यह सीखने में सहायता करता है कि बिना हिंसक हुए किस तरह से चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना किया जाए। शिक्षक नैतिक मूल्यों को स्थापित करके ऐसे समाज के विकास में योगदान देता है, जो शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के साथ जीने की प्रेरणा दे।

‘शिक्षक’ शब्द का अर्थ है-शि= शिखर तक ले जाने वाला, क्ष=क्षमा कर देने वाला और क=कमजोरी दूर करने वाला।