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‘समय की रेत’ महापुरुषों के बारे में सारगर्भित आलेखों का गुलदस्ता

लोकार्पण…

नई दिल्ली।

वर्तमान समय में जैसे- जैसे तकनीक का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे ही याद रखने की क्षमता भी क्षीण होती जा रही है। आज बच्चे से लेकर बूढ़े तक किसी भी जानकारी के लिए गूगल पर निर्भर होते जा रहे हैं। ऐसे में सारगर्भित और विश्वसनीय जानकारियों से सज्जित पुस्तकें ही सही मायने में हमें सही रास्ता दिखा सकती हैं। डॉ. अनुज प्रभात की ‘समय की रेत पर’ ऐसी ही एक पुस्तक है, जिसमें भारत के अनेक महापुरुषों के बारे में सारगर्भित आलेखों का गुलदस्ता समाहित है।
वरिष्ठ कथाकार एवं कवि सुभाष नीरव ने रविवार को यह बात डॉ. अनुज प्रभात की पुस्तक के लोकार्पण समारोह के दौरान अध्यक्षता करते हुए कही। नई दिल्ली के साध नगर में कथा दर्पण साहित्य मंच के तत्वावधान में इस समारोह के प्रथम सत्र में लोकार्पण तथा सम्मान समारोह आयोजित किया गया। शुरुआत अतिथियों के स्वागत से हुई। लोकार्पणकर्ता वरिष्ठ कवि सिद्धेश्वर ने डॉ. प्रभात को पुस्तक के लिए बधाई देते हुए कहा कि डॉ. प्रभात विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं। इस पुस्तक में उन्होंने जिस तरह से सरल और सहज भाषा में ऐतिहासिक किरदारों को जीवंत किया है, वह इसे बेहद विशेष पुस्तकों को श्रेणी में ला खड़ा करता है।
विशिष्ट अतिथि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी कुमार विवेक ने भी डॉ. प्रभात को बधाई देते हुए पुस्तक की सराहना की। डॉ. प्रभात ने आभार प्रकट करते हुए कहा कि मूल रूप से कवि-कथाकार होने के बावजूद पुस्तक लिखना मेरे लिए संभव नहीं था, जिसे साकार रूप दिया संपादक सिद्धेश्वर जी ने। मुख्य अतिथि कवि-कथाकार संदीप तोमर ने कहा कि डॉ. प्रभात की इस पुस्तक में सम्मिलित महापुरुषों का जिस प्रकार चयन किया गया है, वह सही मायनों में भारत की बौद्धिक एवं ज्ञानी इतिहास को रेखांकित करता है। इस दौरान ग़ज़लकार कालजयी घनश्याम, प्रणव कुमार और चैतन्य चंदन ने भी उद्गार व्यक्त किए।
दूसरे सत्र में लघुकथा एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें सुभाष नीरव ने लघुकथा ‘तिड़के घड़े’, सिद्धेश्वर ने ग़ज़ल ‘अपने बावले दिल को सम्भालो ज़रा…’ और डॉ. प्रभात ने ‘रजनी अब टू घूँघट खोल’ शीर्षक से कविता सुनाई। कवि अर्चित भारद्वाज एवं चैतन्य चंदन ने भी रचनाएँ सुनाकर समां बांध दिया।

इस दौरान डॉ. ललित किशोर, डॉ. संजीव कुमार, रेणु सिन्हा व रंजना बत्रा आदि अतिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ लेखिका निशा भास्कर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रभात ने दिया।