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सम्मान की शॉल

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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वह सर्दी की एक रात थी। शहर के समीप के कस्बे में कवि सम्मेलन का आयोजन था। शरद के जीवन का वह पहला कवि सम्मेलन था। शरद ट्रेन पकड़कर भाग लेने पहुंचा था। काव्यपाठ भी अच्छा ही रहा था।
शरद बड़ा खुश था, उसे भी अन्य कवियों के साथ शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया था। चूंकि, यह शरद के जीवन का पहला शॉल था, तो वह अत्यंत गौरव का अनुभव कर रहा था।
लगभग २ बजे शरद वापस जाने के लिए स्टेशन पहुंचा। सर्दी जोरों पर थी। चूंकि, ट्रेन देरी से थी, तो वह प्लेटफॉर्म की बेंच पर बैठकर वही मिला शॉल ओढ़कर ट्रेन का इंतज़ार करने लगा। तभी उसकी नज़र प्लेटफॉर्म के कोने में लेटे सर्दी से कंपकंपाते एक बूढ़े आदमी पर गई, जिसके पास ओढ़ने को कुछ भी नहीं था। शरद का मन हुआ कि, वह उस आदमी को अपनी शॉल ओढ़ा दे, पर दूसरे ही पल ख़्याल आया कि यह तो सम्मान में मिली शॉल है, और वह भी पहली, उसे यूँ गंवा देना ठीक नहीं। ओढ़ाऊं या न ओढ़ाऊं, वह इसी उधेड़बुन में लगा था कि, तभी ट्रेन आ गई। वह ट्रेन में बैठने लपका। काफी भीड़ थी। वह ट्रेन में चढ़ने ही वाला था कि, तभी ट्रेन ने रेंगना शुरु कर दिया। एक बार फिर उसके मानवता के भाव ने उसे जगाया कि सर्दी से वह आदमी कहीं मर न जाए। शरद ने आव देखा न ताव, वह तेजी से उतरा, और अपनी ओढ़ी शॉल उस आदमी को ओढ़ाई, और दौड़कर फिर ट्रेन में चढ़ गया।
शरद को लगा कि मौसम एकदम गरम हो गया है, और उसकी सारी सर्दी फुर्र हो गई है।

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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