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सात जन्म हो तुम मेरे

संदीप धीमान 
चमोली (उत्तराखंड)
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एक जन्म नहीं,सात जन्म हो तुम मेरे,
अर्धांगिनी रुप में अर्ध वर्ण हो तुम मेरे।

जप-तप का फल जन्मों का तुम मेरे,
इस जन्म बने अंतःकरण हो तुम मेरे।

वामांगिनी,सहगामिनी,संगिनी,वनिता,
जाया,भार्या,कालत्र,कांता और कविता।

सर्व नाम में रची-बसी एक अर्थ में,
अर्धांगिनी,जीवन तरण हो तुम मेरे।

अर्थ-अर्थ में संग भाव निस्वार्थ तुम मेरे,
उर मन मस्तिष्क,रुप पूर्ण हो तुम मेरे॥

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