विजयसिंह चौहान
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष………
सूख रही है
धरा,
सूख रहा है
पानी,
आँखों काl
धरती बनती,
मरू
ये कैसा रूप,
जवानी काl
सूखा तन,
तपता बदन
धूल-गुबार और,
आंधी काl
रसातल में
जा पहुंचा,
जल
ये कैसा रूप
दीवानी काl
आओ सजा दें
आँचल इस माँ
का,
करें बूंदों से मनुहारl
बहेगी नदियां,
कल-कल
अविरलl
होगा सावन-सा
त्यौहार,
इस धरा काll
परिचय : विजयसिंह चौहान की जन्मतिथि ५ दिसम्बर १९७० और जन्मस्थान इन्दौर(मध्यप्रदेश) हैl वर्तमान में इन्दौर में ही बसे हुए हैंl इसी शहर से आपने वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ विधि और पत्रकारिता विषय की पढ़ाई की,तथा वकालात में कार्यक्षेत्र इन्दौर ही हैl श्री चौहान सामाजिक क्षेत्र में गतिविधियों में सक्रिय हैं,तो स्वतंत्र लेखन,सामाजिक जागरूकता,तथा संस्थाओं-वकालात के माध्यम से सेवा भी करते हैंl लेखन में आपकी विधा-काव्य,व्यंग्य,लघुकथा और लेख हैl आपकी उपलब्धि यही है कि,उच्च न्यायालय(इन्दौर) में अभिभाषक के रूप में सतत कार्य तथा स्वतंत्र पत्रकारिता जारी हैl