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स्त्री

डॉ.अभिषेक कुमार
सदानंदपुर (बिहार)
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स्त्री,
उपभोग के लिए बनी
मांस पिंडों से सजी,
पुरुषों की काम वेदना
को शांत करने वाली,
चलती-फिरती यंत्र भर नहीं।
स्त्री,
नवांकुरों की सृजनकर्ता
पृथ्वी है।
स्त्री
जीवनदायिनी,ऊष्मा प्रदाता
सूर्य है।
स्त्री
जीवन के लिए आवश्यक
अमृत समान जल है।
स्त्री,
जिसके बिना जिंदगी
की कल्पना नहीं,
वो प्राणवायु है।
स्त्री,
सपनों की,उम्मीदों की
और हौंसलों की उड़ान का
आकाश है।
स्त्री,
पूरी प्रकृति है…
पूरी प्रकृति स्त्री है॥
परिचय-डॉ.अभिषेक कुमार का जन्म २५ जुलाई १९८७ को बेगूसराय में हुआ है। इनकी शिक्षा-स्वास्थ्य विज्ञान से स्नातकोत्तर है,तो वर्तमान में हिंदी स्नातक छात्र (दिल्ली)हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित होती हैं। प्रकाशन के अंतर्गत एक लयात्मक,प्रतिरोधी जनपक्षीय काव्य संग्रह-`रस्सा खोल` प्रकाशित है तो काव्य संग्रह-`प्रतिरोध के स्वर`,`शक्ति` तथा `डॉ.अभिषेक की विरहांजली` प्रकाशनाधीन गद्य(पुस्तक)`साहित्यिक मठाधीशों का काला चिट्ठा` भी प्रकाशनाधीन हैl नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. कुमार को दिनकर काव्य रत्न-२०१८ पुरस्कार मिल चुका है। इनका निवास बिहार राज्य के ग्राम-सदानंदपुर (जिला-बेगूसराय)में हैl 

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