संदीप धीमान
चमोली (उत्तराखंड)
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स्वप्न तरुण अनुबंध तेरा
स्वप्न बांधों न तार,
किस तरु बसेरा तेरा
स्वप्न सांचों न सार।
माया तरुण ठगे जगत
जैसे नाम ईश्वर उपहार,
स्वर्ग-नरक के फेर में
स्वप्न बड़ा ईश्वर आधार।
व्योम देह भरी तेरी
तरुण-वरुण का संगी सार,
भीतर-बाहर व्योम भरी
स्वप्न व्योम कराएं पार।
ईश्वर आधार नाम मात्र
संकेत मानो अविरल धार।
व्योम इश्वर धाम तन्त्र,
स्वप्न अनुभूति उसके पार॥