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स्वामी विवेकानंद आ जाओ

दीपक शर्मा

जौनपुर(उत्तर प्रदेश)

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सो गयी है युवा शक्ति चेतना,
उनमें नव रक्त संचार कराने आ जाओ।
आज आ पड़ी है जरुरत तुम्हारी,
फिर से जग को जगाने आ जाओ॥

धूमिल हो रही है भारतीय संस्कृति,
छा रही है जग में विकृति ही विकृति।
नव सृजन विज्ञान के युग में,
देखो बिलख रही है प्रकृति॥

प्रलय गूँज रहा है धरती-अम्बर,
सृष्टि विनाश बचाने आ जाओ।
आज आ पड़ी है जरुरत तुम्हारी,
फिर से जग को जगाने आ जाओ॥

धर्म-जाति के नाम पर हो रही रोज लड़ाई,
मदिरा में मस्त जमाना ले रहा अँगड़ाई।
बैर बढ़ा है इतना जग में,
पहचान न आवे मात-पिता,गुरु भाई॥

क्षीण हो रहा शील,संयम स्वभाव मनुज का,
उनमें आत्मबोध जगाने आ जाओ।
आज आ पड़ी है जरुरत तुम्हारी,
फिर से जग को जगाने आ जाओ॥

मन पर हावी है काम वासना,
दु:ख और माया में है जीवन बँधा।
सूख रही है अब हिंद वतन से,
कर्म,भक्ति,ज्ञान की गंगा॥

तुझको जीने की चाह है मन में,
जीने की राह दिखाने आ जाओ।
आज आ पड़ी है जरुरत तुम्हारी,
फिर से जग को जगाने आ जाओ॥

क्षीण न हो जाये धरा से आध्यात्म शक्ति,
मिथ्या न बन जाये जग में भगवान भक्ति।
क्योंकि अब समझने वाला कोई नहीं,
मोक्ष और कैवल्य की अभिव्यक्ति॥

संत समाज का अंत हो रहा है,
उनका अस्तित्व बचाने आ जाओ।
आज आ पड़ी है जरुरत तुम्हारी,
फिर से जग को जगाने आ जाओ॥

तुम हो एक ज्ञान का दीपक,
प्रकाश तेरा दूर तलक।
तुम हो एक युग निर्माता,
यश तेरा अमर रहेगा युगों-युगों तक।।
तुम हो संत समाज सुधारक,
तुम जैसा कोई हुआ न अब तक॥

तुम हो एक आदर्श पुरुष,
जग को आदर्श बनाने आ जाओ।
आज आ पड़ी है जरुरत तुम्हारी,
फिर से जग को जगाने आ जाओ॥

परिचय-दीपक शर्मा का स्थाई निवास जौनपुर के ग्राम-रामपुर(पो.-जयगोपालगंज केराकत) उत्तर प्रदेश में है। आप काशी हिंदू विश्वविद्यालय से वर्ष २०१८ में परास्नातक पूर्ण करने के बाद पद्मश्री पं.बलवंत राय भट्ट भावरंग स्वर्ण पदक से नवाजे गए हैं। फिलहल विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।आपकी जन्मतिथि २७ अप्रैल १९९१ है। बी.ए.(ऑनर्स-हिंदी साहित्य) और बी.टी.सी.( प्रतापगढ़-उ.प्र.) सहित एम.ए. तक शिक्षित (हिंदी)हैं। आपकी लेखन विधा कविता,लघुकथा,आलेख तथा समीक्षा भी है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ व लघुकथा प्रकाशित हैं। विश्वविद्यालय की हिंदी पत्रिका से बतौर सम्पादक भी जुड़े हैं। दीपक शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-देश और समाज को नई दिशा देना तथा हिंदी क़ो प्रचारित करते हुए युवा रचनाकारों को साहित्य से जोड़ना है।विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको लेखन के लिए सम्मानित किया जा चुका है।

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