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जब भी बुलाओगे, मैं आऊंगा…

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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गजानन जी,
अपने भक्तों की सेवा, भक्ति और प्रेम से प्रमुदित…
अधर में मधुर मंद स्मित लिए…
आज जा रहे अपने लोक।
सुख-समृद्धि का आशीष दे कर,
एक वचन साथ तुम जब भी बुलाओगे
मैं आऊंगा…।
श्री हरि अभी,
क्षीर सागर में शयन कर रहे
हैं
देवी श्री उनकी सेवा में है,
कार्तिक में भक्तों की पुकार में जब वे आएंगी,
उनको अपने पास न पाकर
तब श्री हरि हड़बड़ा कर उठ बैठेंगे।
सावन भर भोले बाबा,
धरती और भक्तों की सुध लेते रहे
भादो में पुत्र गणपति जी,
फिर पितृ देव की छत्र-छाया रहेगी
उनके जाते ही भवानी शैल सुता
आ जाएंगी…।
देवों को हमारी कितनी चिंता है,
और हम सभी
सांसारिक जंजालों में उलझकर,
उन्हें भूल जाते हैं॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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