कुल पृष्ठ दर्शन : 212

You are currently viewing हिंदी आत्मा की पुकार है

हिंदी आत्मा की पुकार है

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)

****************************************************************************

हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष………………..


भाषाओं में एक विशाल प्रकार है हिंदी,
हृदय के उपवन की एक बहार है हिंदी।
कितनी धड़कनें धड़कती हैं हिंदी के लिए,
हम सभी में आत्मा की पुकार है हिन्दीll

हिंदी हमारे हिन्दुस्तान की मुख्य साख है,
हमारी हिंदी में संस्कार का सामर्थ्य लाख है।
जिससे दिखता है समाज का विशाल संसार,
वह प्रतिभाशाली हमारी हिंदी की आँख हैll

हिंदी जिसमें बहता मधुरता का पवित्र नीर,
हिंदी जिसमें चलती है सदभाव की समीर।
विशाल सामर्थ्यवान है हिंदी का संसार,
जहां हैं प्रेम की व्याख्या और व्यंग्य के तीरll

हिंदी बढ़े और पल्लवित हो यह सपना है,
यह मातृभाषा है हमारी इसे पनपना है।
हिंदी माँ है हमारी इसकी सेवा करेंगे हम,
बदलते समय में यह प्रयास अपना हैll

जिसने बचपन से पाला,वो आँचल हमारा,
उन्नति में बनी हमारी हिन्दी बनी सहारा।
जनभाषा है हमारी सम्मान करेंगे हम,
पल्लवित करेंगे हम इसे बनाएंगे नजाराll

बढ़ते अंग्रेजी के प्रभाव में मिली है निराशा,
हिंदी के बेटे-बेटी भूल रहे हैं अपनी भाषा।
आओ अब हम सब मिलकर दृढ़ संकल्प लें,
सेवा करें हिंदी की,यह है हमारी जिज्ञासाll

परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’

Leave a Reply