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हिंदी हमारी पहचान

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष………………..


हिंदी हमारी पहचान है
अपनेपन की भाषा है,
और हिंदी हमारी मातृभाषा
इसमें जीना-इसमें मरना,
हमारी शान है।

हिन्दुस्तान में जन्में हम
जहां चलना और जीना,
सीखा हमने वह,
हिन्दुस्तान हमारा है,
वह हमारी जान है।
हिंदी हमारी…॥

हिन्द की है साँस जहां
जहां प्यार की पवन बहे,
हिंदी मेरी माँ हम सब
इसकी संतान।
हिंदी ने जंग लड़ी आजादी की,
सभी के दिल में जोश भरा
इसी ने लाज बचाई है खादी की,
हिंदी भारत की जान है।
हिंदी हमारी…॥

प्यार और स्नेह इसकी
पहचान है,
इसकी बोली लगती सुहानी
मीठी-मीठी इसकी वाणी,
कला क्षेत्र में सबसे आगे
अब और क्या मुझे बताना,
हिंदी हमारी माँ है इसकी
क्या खूब निराली शान।
हिंदी ही हमारी पहचान…
हिंदी हमारी…पहचान है॥

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।

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