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हिन्दी दिवस

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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हिन्दी संग हम (१४ सितम्बर) विशेष..

यह नवजीवन है,
संस्कृति और संस्कार को
पुनर्जीवित कर,
देती संजीवन है
राष्ट्रीय आन, बान और शान है,
जन-जन की मुस्कान है।

हमारे संस्कार झलकाती है,
आनंद और सुकून देने वाली
ताक़त बनकर देश-विदेश में,
सम्मानित और सम्बल बन
राष्ट्रीयता को त्वरित गति से,
जागृत करने में
सबसे आगे रहते हुए,
खुशियाँ और आनन्द देने वाले
शिखर पर चढ़ती है।

यह आर्यावर्त का उन्नत,
सांस्कृतिक दर्शन है
सब भारतीयों को सदैव,
इससे मिलता है खूब उत्साह से
आगे बढ़ने का मनोबल,
इस कारण इसका बढ़ रहा,
त्वरित गति से आकर्षण है।

यह गौरव हासिल करने का,
सबसे खूबसूरत उपहार है
जन-जन तक पहुंचाने वाले सौन्दर्य, और श्रंगार रस को
आगे बढ़ाती है मजबूती से,
इस कारण कहलाता
नवजागरण का स्वाभिमान,
और सुकून देने वाली ताकत बनकर
बन जाता श्रेष्ठ श्रृंगार है।

यह अपने को अपने से,
जोड़ने वाली ताकत बनकर
अहम् भूमिका निभाती है,
उत्साहित मन से विश्वास संग
मानसिक शक्ति प्रबल करने में,
पहल करने में सबसे आगे
हरक्षण खड़ी हो जाती है।

यह उन्नत प्यार से सना,
सबसे मृदुल व्यवहार है।
मानवीय सरोकार से ओत-प्रोत,
उत्कृष्ट संस्कार से विभूषित
सर्वोत्तम आभार है॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।