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हे भगवन, ला दो नया विहान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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हनुमान जयंती (१२ अप्रैल ) विशेष…

संकटमोचन देव हैं, कहते हम हनुमान।
असुर मारते, धर्म हित, जय हो दयानिधान॥

सदा राममय ही रहें, पावन हैं हनुमान।
जो उनके चरणों पड़े, उसकी रखते आन॥

रुद्र अंश धारण किया, राम हितैषी तात।
जय-जय हो हनुमान जी, देव सदा सौगात॥

भूत-पिशाचों पर कहर, हर संकट पर मार।
जहाँ रहें हनुमानजी, वहाँ पले उजियार।।

वायु पुत्र शत्-शत् नमन्, विनती बारम्बार।
करना मुझ पर तुम दया, करो मुझे भव पार॥

लाल अंजना तुम सदा, रखना सिर पर हाथ।
कैसी भी विपदा पड़े, नहीं छोड़ना साथ॥

हनुमत तुम बलधाम हो, पावन और महान।
सारा जग तुम पर करे, हे भगवन् अभिमान॥

राम काज करके बने, रामदुलारे आप।
वेग, शौर्य, प्रतिभा, समझ, कौन सकेगा माप॥

कलियुग के तुम आसरे, परमबली वरदान।
ला दो इस युग में सुखद, फिर से नया विहान॥

‘शरद’ करे विनती सतत्, वंदन सौ-सौ बार।
हे भगवन् ! कर वो जतन, कभी न पाऊँ हार॥

परिचय–प्रो.(डॉ.) शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला (मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में है। आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र) में हुआ है। एम.ए. (इतिहास, प्रावीण्यताधारी), एल.एल.बी. सहित पीएच.-डी.(इतिहास) तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैं। करीब ४ दशकों में देश के ५०० से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में १० हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियाँ आपके खाते में हैं। साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो (३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार) सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं (विशेषांकों) का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक-संचालक के साथ ही शोध निदेशक, विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैं। राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार (निबंध-५१ हजार ₹)है।