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हे हनुमन

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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तुम्हारे दर्श को हनुमन, नयन मेरे तरसते हैं,
कि जैसे मेघ सावन के, घटा बनकर बरसते हैं
थके तन-मन हमारे हैं, तुम्हारे द्वार जा जाकर,
खुशी भी लौट जाती है, हमारे द्वार पे आकर।

सुना है हे पवनसुत तुम, सभी के कष्ट हो हरते,
जगत के शोक चिंताएं, सभी तुमसे बहुत डरते
सुना श्री राम लंका में, तुम्हारे सँग पधारे थे,
महाबलवान रावण भी, तुम्हीं से युद्ध हारे थे।

जगत है पूजता तुमको, तुम्हीं संकट निवारक हो,
पवन के पुत्र हो भगवन, पवन से तेज धावक हो
यही विनती करूँ तुमसे, रखो अब लाज भी मेरी,
कहीं ऐसा न हो जाये, कि हो जाये बहुत देरी॥

परिचय– डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी ने एम.एस-सी. सहित डी.एस-सी. एवं पी-एच.डी. की उपाधि हासिल की है। आपकी जन्म तारीख २५ अक्टूबर १९५८ है। अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित डॉ. बाजपेयी का स्थाई बसेरा जबलपुर (मप्र) में बसेरा है। आपको हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। इनका कार्यक्षेत्र-शासकीय विज्ञान महाविद्यालय (जबलपुर) में नौकरी (प्राध्यापक) है। इनकी लेखन विधा-काव्य और आलेख है।

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