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है गर्व हमें

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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भारत की आत्मा ‘हिंदी’ व हमारी दिनचर्या….

भारत की आत्मा है हिन्दी,व हमारी दिनचर्या भी यही,
…………………है गर्व हमें।……………………….

जन्मे भारत की माटी पर,भाषा सबसे प्यारी है यही,
………………..है गर्व हमें॥……………………….
भारत की आत्मा है हिन्दी…

है ओम शब्द हिन्दी का ही,
जो सूरज दिन भर कहता है।
चन्दा भी हर पूर्णमासी में,
अपनी किरणें चमकाता है।
इस धरती की नदियाँ पावन,
पर्वत मालाएँ खूब सजें॥
……………………है गर्व हमें।………………….
भारत की आत्मा है हिन्दी…

मुगलों,अंग्रेजों ने लूटा,
पर वन्दे-मातरम मिट न सका।
बलिदानी जो हिन्दुस्तानी,
कोई उनसा दिखता है कहाँ।
है सब धर्मों का रक्षक ये,
है हर दिल की आत्मा हिन्दी॥
…………………… है गर्व हमें।………………
भारत की आत्मा है हिन्दी…

सम्मान मिले सृष्टि को यहीं,
तब तो नदियाँ माता बनतीं।
पूरब,पश्चिम,उत्तर,दक्षिण,
चारों ही दिशा हिन्दी रहती।
कितनी भाषाएं भारत में,
सब मिलकर भी हिन्दी रचतीं॥
………………….है गर्व हमें।…………………..
भारत की आत्मा है हिन्दी…

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

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