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होली का हुड़दंग

छगन लाल गर्ग “विज्ञ”
आबू रोड (राजस्थान)
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नशे में नैन कजरारे,कहें होली सुहानी हैंl
बड़ी इठला रही देखो,अभी निखरी जवानी हैंl
चलो रंगीन हो जाये,मजे में चूर हो जायेl
घुली है भांग ठंडे में,जरा मदहोश हो जायेll

अभी खामोश पिचकारी,भरी बंदूक-सी लागेl
जरा से पास आओ ना,हमारी धड़कनें जागेl
जमाना भांग का आया,नशे में डूब जाने दोl
बहा दो प्यार का प्याला,जरा रस धार आने दोll

बड़ी बारूद बुलबुल हो,लगो तुम रंग की दरियाl
अभागे हम सदा ठहरे,घनी है फूल-सी परियांl
लगा दो रंग थोड़ा-सा,हमें भी महक आ जायेl
वीराने में अचानक ही,नजारे रोशनी पायेll

सुनो मेरी जुबानी भी,कथा है प्राण प्यारी कीl
जरा-सी देह काली है,बड़ी नैना खुमारी कीl
निराली गोल है काया,हमारी राज रानी कीl
रहे नित क्रोध मुखड़े पर,निशानी सावधानी कीll

भरी थी रंग की प्याली,उठाकर जोर से मारीl
लगी आकर निशाने पर,हमारी तोंद में सारीl
भरा था पेट गुब्बारा,जरा-सी चोट को झेलाl
भिगोया रंग में सारा,हँसी सब सुन्दरी मेलाll

नहीं पहचान में आती,सभी लगती सुहानी-सीl
खिली हो केसरी आभा,फिजाओं में निशानी-सीl
सजी है आज रंगोली,दिलों मे रंग छाया हैl
बड़ी खुशहाल है होली,नशीली मोह माया हैll

परिचय–छगनलाल गर्ग का साहित्यिक उपनाम `विज्ञ` हैl १३ अप्रैल १९५४ को गाँव-जीरावल(सिरोही,राजस्थान)में जन्मे होकर वर्तमान में राजस्थान स्थित आबू रोड पर रहते हैं, जबकि स्थाई पता-गाँव-जीरावल हैl आपको भाषा ज्ञान-हिन्दी, अंग्रेजी और गुजराती का हैl स्नातकोत्तर तक शिक्षित श्री गर्ग का कार्यक्षेत्र-प्रधानाचार्य(राजस्थान) का रहा हैl सामाजिक गतिविधि में आप दलित बालिका शिक्षा के लिए कार्यरत हैंl इनकी लेखन विधा-छंद,कहानी,कविता,लेख हैl काव्य संग्रह-मदांध मन,रंजन रस,क्षणबोध और तथाता (छंद काव्य संग्रह) सहित लगभग २० प्रकाशित हैं,तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl बात करें प्राप्त सम्मान -पुरस्कार की तो-काव्य रत्न सम्मान,हिंदी रत्न सम्मान,विद्या वाचस्पति(मानद उपाधि) व राष्ट्रीय स्तर की कई साहित्य संस्थानों से १०० से अधिक सम्मान मिले हैंl ब्लॉग पर भी आप लिखते हैंl विशेष उपलब्धि-साहित्यिक सम्मान ही हैंl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का प्रसार-प्रचार करना,नई पीढ़ी में शास्त्रीय छंदों में अभिरुचि उत्पन्न करना,आलेखों व कथाओं के माध्यम से सामयिक परिस्थितियों को अभिव्यक्ति देने का प्रयास करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद व कवि जयशंकर प्रसाद हैंl छगनलाल गर्ग `विज्ञ` के लिए प्रेरणा पुंज- प्राध्यापक मथुरेशनंदन कुलश्रेष्ठ(सिरोही,राजस्थान)हैl

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