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हड़ताल और बीमार बेटा

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)

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मन अनहोनी की शंका से,
थर-थर-थर-थर कांप रहा है
आधी रात हुई है बेटा,
पल-पल देखो हाँफ रहा है।

अस्पताल जाना है लेकिन,
हड़ताल अभी तक जारी है
लोगों की यह मारा-मारी,
इसके जीवन पर भारी है।

बंद रहेगी सड़क अगर तो,
कैसे होगा काम बताएं
अगर इलाज नहीं मिल पाया,
क्या होगा अंजाम बताएं।

हुआ अगर कुछ भी बेटे को,
मुश्किल हो जायेगा जीना
लगता है जैसे यह मेरा,
फट ही जायेगा अब सीना॥

परिचय-वकील कुशवाहा का साहित्यिक उपनाम आकाश महेशपुरी है। इनकी जन्म तारीख २० अप्रैल १९८० एवं जन्म स्थान ग्राम महेशपुर,कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)है। वर्तमान में भी कुशीनगर में ही हैं,और स्थाई पता यही है। स्नातक तक शिक्षित श्री कुशवाहा क़ा कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षक)है। आप सामाजिक गतिविधि में कवि सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक बुराईयों पर प्रहार करते हैं। आपकी लेखन विधा-काव्य सहित सभी विधाएं है। किताब-‘सब रोटी का खेल’ आ चुकी है। साथ ही विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आपको गीतिका श्री (सुलतानपुर),साहित्य रत्न(कुशीनगर) शिल्प शिरोमणी सम्मान(गाजीपुर)प्राप्त हुआ है। विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी से काव्यपाठ करना है। आकाश महेशपुरी की लेखनी का उद्देश्य-रुचि है। 

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