हैदराबाद (तेलंगाना)।
केंद्रीय हिंदी संस्थान (आगरा) के हैदराबाद केंद्र द्वारा गुरुकुल विद्यालय के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए ४७१ वाँ नवीकरण पाठ्यक्रम हैदराबाद केंद्र पर आयोजित किया गया। इसमें ४९ महिला-पुरुष ने नियमित रूप से भाग लिया।
पाठ्यक्रम के संयोजक हिंदी संस्थान (हैदराबाद केंद्र) के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे तथा पाठ्यक्रम प्रभारी सह-आचार्य डॉ. फत्ताराम नायक रहे। अतिथि अध्यापक डॉ. पंकज सिंह यादव तथा बाह्य विद्वान डॉ. कामेश्वरी, डॉ. राजीव कुमार सिंह ने अध्यापन कार्य किया।
शनिवार को कार्यक्रम के समापन समारोह की अध्यक्षता संस्थान (आगरा) के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने आभासी माध्यम से की। मुख्य अतिथि महात्मा गांधी ज्योतिबा फुले (गुरुकुल, तेलंगाना) के पूर्व प्राचार्य वी. रमण मूर्ति, विशिष्ट अतिथि पूर्व प्राचार्य डॉ. सुरभि दत्त, आत्मीय अतिथि गुरुकुल विद्यालय के संयुक्त सचिव डॉ. जी. तिरुपति, प्रो. वानोडे भी मंच पर उपस्थित रहे।
मंचस्थ अतिथियों का पुष्पगुच्छ देकर सम्मान किया गया।
इस अवसर पर प्रो. कुलकर्णी ने कहा कि, शिक्षक आजीवन विद्यार्थी होता है। उसे नई भाषा, प्रौद्योगिकी तथा तकनीकी को सीखते रहना चाहिए।
डॉ. दत्त ने कहा कि, शिक्षक को हमेशा ३ बातें ध्यान में रखनी चाहिए-‘लगे रहो, पूछते रहो, सावधान रहो’ तथा अपने छात्रों में भी इन गुणों को विकसित करें।
मुख्य अतिथि वी. रमण मूर्ति ने कहा कि, हमें मानक हिंदी का अभ्यास करना चाहिए। कक्षा में हिंदी का वातावरण बनाना चाहिए।
इस अवसर पर विदेशी शोधार्थी अलीना ने अपने हिंदी सीखने की यात्रा पर प्रकाश डाला और स्वरचित कविता सुनाई। विदेशी शोधार्थी मोहम्मद फहीम जलांद ने बताया कि, हर अफगानी छात्र चाहता है कि वह भारत जाकर हिंदी सीखे। मेरा सौभाग्य है कि मुझे यह अवसर मिला।
अतिथियों द्वारा प्रथम स्थान प्राप्त डांगे ज्ञानेश्वर, द्वितीय शेख नाजिया बेगम, तृतीय अनवरून्नीसा तथा प्रोत्साहन पुरस्कार मैमुन्ना को और सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र भी दिए। संचालन लखन तिवारी ने किया। आभार अनिल कुमार ने प्रकट किया।