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आजादी के दीवाने

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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हम हैं आजादी के दीवाने,
अपनी मस्ती में चलते हैं
नहीं किसी से ईर्ष्या मेरी,
सभी का सम्मान करते हैं।

मांगते हो तो मांग लो मुझसे,
मस्तक देने को तत्पर रहते हैं
आँख दिखाई यदि तूने मुझे,
फोड़ने का हौंसला रखते हैं।

मांगने पर हमने पाक दिया,
और बिन मांगे दिया राशन
धोखा दिया और वार किया,
तो मिटा देंगे हम सिंहासन।

‘वसुधैव कुटुंबकम’ का मंत्र,
दिन-रात हम लोग जपते हैं
हम हैं आजादी के दीवाने,
अपनी मस्ती में चलते हैं।

आगे चीन हो या हो फिर पाक,
सभी के प्रति मन है मेरा साफ
आतंकवाद का जो भी संरक्षक,
उनके लिए तो नाग हूँ मैं तक्षक।

आजादी के लिए ही तो,
हमने तिरंगा उठाया था
जमकर बैठे अंग्रेजों को,
खदेड़कर ही भगाया था।

एकता का मर्म समझते हैं,
सबको साथ ले टहलते हैं।
हम हैं आजादी के दीवाने,
अपनी मस्ती में चलते हैं॥

परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

 

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