हैदराबाद (तेलंगाना)।
केंद्रीय हिंदी संस्थान (हैदराबाद केंद्र) द्वारा पांडिचेरी राज्य के सरकारी एवं निजी विद्यालयों में कार्यरत हिंदी अध्यापकों-हिंदी प्रचारकों के प्रशिक्षण के लिए नवीकरण पाठ्यक्रम आयोजित किया गया। इसका समापन जीवनानंद सरकारी महाविद्यालय (करमनीकुप्पन) पांडिचेरी के सभागार में हुआ।
इस पाठ्यक्रम के दौरान निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे ने भाषा विज्ञान तथा उसके विविध पक्ष, परिमार्जन, डॉ. फत्ताराम नायक ने हिंदी व्याकरण के विविध पक्ष, रस, छंद, शक्तियाँ, भारतीय ज्ञान परंपरा, भारतीय जीवन पद्धति, भारतीय बहुधार्मिकता और समन्वय, डॉ. दीपेश व्यास ने साहित्य शिक्षण और डॉ. एम. ज्ञानम ने व्यावहारिक हिंदी संरचना आदि विषयों का अध्यापन कार्य किया। समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान (आगरा) के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी ने की। मुख्य अतिथि पुदुच्चेरी सरकारी महाविद्यालय, की सह-आचार्य डॉ. डी. उमादेवी, विशिष्ट अतिथि शारदा गंगाधरन महाविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. जे. सुरेंद्रन और सम्मानित अतिथि के रूप में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा चेन्नई एवं त्रिचि के कार्यकारी समिति सदस्य डॉ. एन. सेंदिल कुमार उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ द्वीप प्रज्ज्वलन तथा सरस्वती वंदना द्वारा किया गया। प्रतिभागियों द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। प्रो. कुळकर्णी ने आभासी मंच से कहा कि हमें अपनी मातृभाषा से प्यार करना चाहिए लेकिन साथ ही साथ हमें हिंदी भाषा को भी आत्मसात करने की आवश्यकता है, जो वैश्विक स्तर पर विकास की धारा से सभी को एकसाथ जोड़ सके। आज वह संपर्क की भाषा, रोजगार की भाषा, साहित्य की भाषा बन गई है। डॉ. उमादेवी ने कहा कि बच्चों को सकारात्मक ज्ञान देना शिक्षक का कर्तव्य है।
संचालन विष्णुप्रिया ने किया। धन्यवाद ज्ञापन विजयलक्ष्मी द्वारा प्रस्तुत किया गया।