संध्या चतुर्वेदी ‘काव्य संध्या’
अहमदाबाद(गुजरात)
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आज की नारी इतनी कमजोर नहीं,जो झुक जायेगी,
करो चाहे पुरजोर जतन तुम,नहीं वो रुक पायेगी।
दिल की सुंदरता कब भला,तेजाब से खत्म हो पायेगी,
शक्ति रूप है नारी,नहीं मोम जो पिघल जायेगी।
बंद करो तुम अब जिस्म का व्यापार चलाना,
नारी कोई वस्तु नहीं जो बाजार में बिक जायेगी।
कब तक करोगे अब आनाकानी,खत्म करो ये मनमानी,
तस्वीर देश की अब बदलेगी,अब ना नारी जुल्म सहेगी।
कोई निर्भया अब ना मरेगी,प्रचंड रूप चंडी का धरेगी,
दुष्टों के सर की भेंट चढ़ेगी,अब घूँघट की ओट हटेगी।
जा सीमा पर युद्ध लड़ेगी,अब ना नारी कमजोर बनेगी,
उड़ा वायुयान,अब (कल्पना)अंतरिक्ष की सैर करेगी।
कल तक थी जो बंद घरों में,आज संसद का रुख करेगी,
खत्म करो अपनी राजनीति,अब नारी तुम पर राज करेगी।
इंदिरा गांधी,प्रतिमासिंह,कल्पना चावला,सानिया मिर्जा,सानिया नेहवाल,गीता बबीता फोगोट भी नारी ही थी,
और कितने नाम सुनोगे,नहीं कमजोर जो जुल्म सहेगी॥
परिचय : संध्या चतुर्वेदी का साहित्यिक नाम काव्य संध्या है। आपने बी.ए. की पढ़ाई की है। कार्यक्षेत्र में व्यवसाय (बीमा सलाहकार)करती हैं। २४ अगस्त १९८० को मथुरा में जन्मीं संध्या चतुर्वेदी का स्थाई निवास मथुरा(उत्तर प्रदेश)में है। फिलहाल अहमदाबादस्थित बोपल (गुजरात)में बसी हुई हैं। कई अखबारों में आपकी रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। लेखन ही आपका शौक है। लेखन विधा-कविता, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहा, धनाक्षरी, कह मुकरिया,तांका,लघु कथा और पसंदीदा विषय पर स्वतंत्र लेखन है। संध्या जी की लेखनी का उद्देश्य समाज के लिए जागरुक भूमिका निभाना है। आपको लेखन के लिए कुछ सम्मान भी मिल चुके हैं|