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उड़ान

अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’ 
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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क्यों मैं ही हर बार दमन करूं,
अपनी ख्वाहिशों का…?
क्यों मैं ही हर बार दफन करूँ,
अपनी ख्वाहिशों को…?
अपने ही हाथों से क्यों घोट दूं गला,
अपनी हर ख़्वाहिश का…?
सदियों से,
अब तक
यही तो करती आई हूँ,
घुट-घुट के जीती आई हूँ
खोखली परम्पराओं में फँसती आई हूँ,
मर्यादा और संस्कारों के नाम पर ठगी आई हूँ
अपने अस्तित्व को दबाती आई हूँ,
क्यों मैं ही,हर बार त्याग की मूरत बनूं…?
क्यों मैं ही,हर बार बलिदान की देवी बनूं…?
मेरी किसने परवाह की…?
पुरुषवादी सोच के
खोखले समाज ने,
परम्पराओं के नाम पर,
छला है मुझे
सदियों से शोषण किया है मेरा,
पर अब नहींl
जगती है दिल में ख्वाहिशें,
तो उन्हें जगने दो
न दफन करो उन्हें,
पनपने दो…!
ये ख्वाहिशें ही तो जड़ें हैं,
मेरी पहचान की
मेरी उड़ान की,
ऊँचाईयों को पाने की
अपने अरमानों को बहने दो,
कल-कल करती सरिता की तरह
जो एक दिन,
मंजिल तक जाएगी,
और सागर में मिल जाएगीl
मैं भी जान गई,
अपनी शक्ति पहचान गई
मैं खुद की पहचान बनाऊँगी,
अपना मान बढ़ाऊंगीl
मैं उड़ना चाहती हूँ,
आसमान को छूना चाहती हूँ
इस सामाजिक जंजाल के परे,
नील गगन में,
उन्मुक्त पंछी-सी
जहां मेरे तेज की चमक होl
आत्मा में संतोष हो,
जीत जाने का
सुकून हो,
अपने होने का गर्व हो…ll

परिचय-श्रीमती अंतुलता वर्मा का साहित्यिक उपनाम ‘अन्नू’ है। ११ मई १९८२ को विदिशा में जन्मीं अन्नू वर्तमान में करोंद (भोपाल)में स्थाई रुप से बसी हुई हैं। हिंदी,अंग्रेजी और गुजराती भाषा का ज्ञान रखने वाली मध्यप्रदेश की वासी श्रीमती वर्मा ने एम.ए.(हिंदी साहित्य),डी.एड. एवं बी.एड. की शिक्षा प्राप्त की है।आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी (शास. सहायक शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में आप सक्रिय एवं समाजसेवी संस्थानों में सहभागिता रखती हैं। लेखन विधा-काव्य,लघुकथा एवं लेख है। अध्यनरत समय में कविता लेखन में कई बार प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी अन्नू सोशल मीडिया पर भी लेखन करती हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-चित्रकला एवं हस्तशिल्प क्षेत्र में कई बार पुरस्कृत होना है। अन्नू की लेखनी का उद्देश्य-मन की संतुष्टि,सामाजिक जागरूकता व चेतना का विकास करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा,मैथिलीशरण गुप्त, सुमित्रा नन्दन पंत,सुभद्राकुमारी चौहान एवं मुंशी प्रेमचंद हैं। प्रेरणा पुंज -महिला विकास एवं महिला सशक्तिकरण है। विशेषज्ञता-चित्रकला एवं हस्तशिल्प में बहुत रुचि है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हमारे देश में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है,परंतु हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के अधिकांश हिस्सों में बोली जाती है,इसलिए इसे राष्ट्रभाषा माना जाता है,पर अधिकृत दर्जा नहीं दिया गया है। अच्छे साहित्य की रचना राष्ट्रभाषा से ही होती है। हमें अपने राष्ट्र एवं राष्ट्रीय भाषा पर गर्व है।