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हाँ हूँ एक बुरी माँ

अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’ 
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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कैसे सिखाऊं अपनी बेटी को ‘बर्दाश्त’ करना…!
एक ऐसे परिवार को जो उसका ‘सम्मान’ न कर सके…,
कैसे सिखाऊं कि पति की ठोकर खाना सौभाग्य की बात है…!

मैंने तो सिखाया है ईंट का जवाब पत्थर से दो…,
अगर कोई कहे तो कहता रहे…
हाँ हूँ मैं एक बुरी माँ…!

लेकिन नहीं देख पाऊँगी उसको हर बात पर जलील होता…!
बिना बात के ताने सुनते,अपनी ही सास,ससुर,देवर, ननंद की नज़रों में गिरते..!

मैं उसे स्वाभिमान से जीना सिखाऊंगी…,
खुलकर साँस लेना सिखाऊँगी…।
अगर कोई कहे तो कहता रहे,
हाँ हूँ मैं एक बुरी माँ…!

मैं विदा कर के भी उसको भूल नहीं पाऊँगी…,
हर बुरी नज़र से उसको बचाऊंगी…
समाज के डर को दूर भगाऊंगी…,
चुप्पी को तोड़ कर बोलना सिखाऊंगी…।

न्याय के लिए संघर्ष करना सिखाऊंगी…,
मुश्किल घड़ियों में डटना सिखाऊंगी…।
अपनी बेटी को मैं विरोध करना सिखाऊँगी…,
अपने हक़ के लिए लड़ना सिखाऊंगी…।

ग़लत मतलब ग़लत होता है,यही बताऊँगी…,
दामन पर अगर कोई गन्दी नज़र डाले,
उसको चीरना सिखाऊंगी…।
अन्याय के लिए आवाज उठाना सिखाऊंगी…,
ढाल बनकर उसकी,खड़ी हो जाऊँगी…।

समाज की खोखली परम्पराओं को तोड़ना सिखाऊंगी…,
‘डोली में विदा होना,और अर्थी पर ही आना’,
समाज के खोखले शब्दों में उसको नहीं फँसाऊंगी…।

औरत होना गर्व की बात है,
ये अपनी बेटी को सिखाऊंगी…।
हर मुश्किल में उसका साथ निभाऊँगी…
ज़्यादा से ज़्यादा एक बुरी माँ ही तो कहलाऊंगी…॥

परिचय-श्रीमती अंतुलता वर्मा का साहित्यिक उपनाम ‘अन्नू’ है। ११ मई १९८२ को विदिशा में जन्मीं अन्नू वर्तमान में करोंद (भोपाल)में स्थाई रुप से बसी हुई हैं। हिंदी,अंग्रेजी और गुजराती भाषा का ज्ञान रखने वाली मध्यप्रदेश की वासी श्रीमती वर्मा ने एम.ए.(हिंदी साहित्य),डी.एड. एवं बी.एड. की शिक्षा प्राप्त की है।आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी (शास. सहायक शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में आप सक्रिय एवं समाजसेवी संस्थानों में सहभागिता रखती हैं। लेखन विधा-काव्य,लघुकथा एवं लेख है। अध्यनरत समय में कविता लेखन में कई बार प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी अन्नू सोशल मीडिया पर भी लेखन करती हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-चित्रकला एवं हस्तशिल्प क्षेत्र में कई बार पुरस्कृत होना है। अन्नू की लेखनी का उद्देश्य-मन की संतुष्टि,सामाजिक जागरूकता व चेतना का विकास करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा,मैथिलीशरण गुप्त, सुमित्रा नन्दन पंत,सुभद्राकुमारी चौहान एवं मुंशी प्रेमचंद हैं। प्रेरणा पुंज -महिला विकास एवं महिला सशक्तिकरण है। विशेषज्ञता-चित्रकला एवं हस्तशिल्प में बहुत रुचि है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हमारे देश में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है,परंतु हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के अधिकांश हिस्सों में बोली जाती है,इसलिए इसे राष्ट्रभाषा माना जाता है,पर अधिकृत दर्जा नहीं दिया गया है। अच्छे साहित्य की रचना राष्ट्रभाषा से ही होती है। हमें अपने राष्ट्र एवं राष्ट्रीय भाषा पर गर्व है।

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