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निःशब्द हूँ `दिशा`

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’
बसखारो(झारखंड)
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निःशब्द हूँ `दिशा` क्या कहूँ ?
यह भारत है जहाँ आतंकवादियों को भी,
बचाने को वकील खड़ा हो जाता है
फिर तो तुम्हारे गुनहगार महज दुष्कर्मी हैं!
उन दुष्टों के लिए वकीलों की क्या कमी होगी ?
कोर्ट में बार-बार तुम्हारे नाम पर झूठी जिरह करेंगे,
हर बार अपनी लफ्फाजियों से
दुष्टों के वकील अदालत में तुम्हारा बलात्कार करेंगे,
तुम्हारे माँ-बाप को जलील करेंगे,
लेकिन उन दुष्टों को बचाने की पुरजोर कोशिश करेंगे
तुम `दिशा` हो न,
इसलिए न तो कोई मोमबत्ती जलाएगा
न ही कोई अवार्ड वापस करेगा!
न फिल्मी हस्तियां कुछ कहेंगी,
और न ही कोई धरना-प्रदर्शन करेगा
संविधान लिखने वाले ने इतनी छूट दे रखी है कि,
हर कुकर्मी जघन्य अपराध करके भी छूट जाता है
कोई झूठी गवाही के बल पर,
कोई ठोस सबूतों के अभाव में
कोई धनबल पर,कोई बाहुबल पर,
जैसे `निर्भया` का नाबालिग बलात्कारी!
कानून तो बन गए हैं लेकिन क्या रुका बलात्कार!
क्योंकि कड़ी सजा नहीं मिलती,
जिस दिन दुष्कर्मियों को सरेआम सजा होगी
जिस दिन उनकी `माब लिंचिंग` होगी,
यकीनन खौफ़ पैदा होगा उनमें
सोचेंगे दस बार दुष्कर्म करने से पहले,
कोई कानून नहीं `दिशा`…
अब तुम्हें हथियार उठाना होगाl
खुद के हाथों को तलवार बनाना होगाll

परिचय- पंकज भूषण पाठक का साहित्यिक उपनाम ‘प्रियम’ है। इनकी जन्म तारीख १ मार्च १९७९ तथा जन्म स्थान-रांची है। वर्तमान में देवघर (झारखंड) में और स्थाई पता झारखंड स्थित बसखारो,गिरिडीह है। हिंदी,अंग्रेजी और खोरठा भाषा का ज्ञान रखते हैं। शिक्षा-स्नातकोत्तर(पत्रकारिता एवं जनसंचार)है। इनका कार्यक्षेत्र-पत्रकारिता और संचार सलाहकार (झारखंड सरकार) का है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से प्रत्यक्ष रूप से जुड़कर शिक्षा,स्वच्छता और स्वास्थ्य पर कार्य कर रहे हैं। लगभग सभी विधाओं में(गीत,गज़ल,कविता, कहानी, उपन्यास,नाटक लेख,लघुकथा, संस्मरण इत्यादि) लिखते हैं। प्रकाशन के अंतर्गत-प्रेमांजली(काव्य संग्रह), अंतर्नाद(काव्य संग्रह),लफ़्ज़ समंदर (काव्य व ग़ज़ल संग्रह)और मेरी रचना  (साझा संग्रह) आ चुके हैं। देशभर के सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। आपको साहित्य सेवी सम्मान(२००३)एवं हिन्दी गौरव सम्मान (२०१८)सम्मान मिला है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय श्री पाठक की विशेष उपलब्धि-झारखंड में हिंदी साहित्य के उत्थान हेतु लगातार कार्य करना है। लेखनी का उद्देश्य-समाज को नई राह प्रदान करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-पिता भागवत पाठक हैं। विशेषज्ञता- सरल भाषा में किसी भी विषय पर तत्काल कविता सर्जन की है।