कुल पृष्ठ दर्शन : 275

अपराध और अपराधियों के संरक्षण में नेताओं का बड़ा योगदान

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
*****************************************************
एक कहावत है कि जब कोई चूहा बिल्ली को आँख दिखाए,तो मान कर चलना चाहिए चूहे का बिल नजदीक हैl आज देश में प्रजातंत्र होने से,जनता की सरकार बनी,यानि चुने हुए प्रतिनिधि ही पंच,सरपंच,विधायक,सांसद उसके बाद मंत्री,मुख्यमंत्री,प्रधानमंत्री इत्यादि बनते हैंl इन सबको बनने के लिए प्राथमिक अर्हता है आपका दबदबा समाज में होना चाहिएl समाज में विरोधी भी होते हैं तो सबसे पहले जो वज़नदार होता है,वह कमजोर पर हावी होता हैl इसके लिए गुंडागर्दी,हत्या आदि जो भी यथासंभव अपराध हो सकते हैं,करना पड़ते हैं,क्योकि यहाँ अस्तित्व की लड़ाई होती हैl जब कोई पेट की लड़ाई से ऊपर उठता है,तब अस्तित्व की बात आती हैl उसके लिए जो भी जायज-नाजायज काम होते हैं,वो ये करते हैंl
जब एक बार आप स्थापित हो गए,तब आपका कार्यक्षेत्र बड़ा होता है और सबसे पहले स्थानीय स्तर पर पुलिस,राजस्व
,विभागों में अपना प्रभाव जमाते हैंl इस क्षेत्र में दखलंदाज़ी होने पर समाज में होने वाले अपराध जैसे चोरी,झगड़ा,जमीन हड़पना आदि में प्रकरणों को निपटवाना और उसके लिए बिचौलिया बनकर दोनों पक्षों से दलाली खाना तथा अपराधियों को संरक्षण देकर अपने साथी बनाना शुरू होता हैl यह प्राथमिक शिक्षा होती है,उसके बाद जैसे जैसे समय की अनुकूलता के हिसाब से ये लोग कोई भी राजनीतिक दल में जाते हैंl अधिकतर सत्तारूढ़ दल में घुसते हैंl यदि विरोधी सत्ता के साथ है,तो विपक्ष में जाते हैंl बस इसके बाद सीधे प्राथमिक महाविद्यालय स्तर के अध्यक्ष बने तो फिर उनकी प्रभाव चिकित्सा चलती हैl अधिकांश सरकारी कर्मचारी उनके पास स्थांतरण,नियुक्ति या पदोन्नति के अलावा अन्य काम से आते हैंl यदि पुरुष होगा तो वह धन,सामग्री की सुविधाएँ देगा और महिलाएं हैं तो वे अपनी अस्मत लुटाती ही हैंl राजनीतिक क्षेत्र में जिनको आगे शिखर तक पहुंचना है,तो उन्हें अपनी अस्मिता से कोई परहेज़ नहीं होताl शिक्षा में भी कमोबेश यही हालत हैंl फ़िल्मी दुनिया में तो ये सब बातें सामान्य श्रेणी में मानी जाती हैंl वहां तो मात्र चर्मप्रेमी लोगों का बोलबाला होता हैl
इतिहास साक्षी है कि,हमेशा अपराधियों को संरक्षण राजा के मंत्री या उनके कृपा पात्रों द्वारा दिया जाता रहा हैl वर्तमान में भी जो सामाजिक,आर्थिक,राजनीतिक क्षेत्र में प्रभावशाली होते हैं,वे ही बचाते हैंl इसके लिए राजनेता होना अनिवार्य हैं,चाहे वो किसी भी दल के हों या स्वयं वह अपराधी होl इसके कारण अपराधी बच जाते हैं,पर कभी-कभी अपराधी ही नेता-मंत्री बन जाते हैंl
वर्तमान में सत्ताधारी दल में सबसे अधिक बलात्कारी,हत्यारे हैं,जिनके ऊपर मुकदमे चल रहे हैं,पर वे संवैधानिक पदों पर सुशोभित हैंl यदि उनके नाम उजागर भी कर दिए जाएं,तो कोई अपराध नहीं होगाl अतःराजा को दंड नीति का उपयोग करना चाहिए,पर आजकल दंड नीति प्रभाव से संचालित हैl आज अपराधी ऊँचे वकीलों के माध्यम से निरपराधी सिद्ध होते हैंl अपराधानुसार दंड न देने वाला राजा के राज्य में निःसंदेह मात्स्य न्याय की प्रवृत्ति होती है,अर्थात बलवान पुरुष निर्बल को पीड़ित करने पर तत्पर हो जाते हैंl
दूसरा अपराधों की गंभीरता को ध्यान में रखकर न्याय यथासमय मिले,अन्यथा विलम्ब से न्याय भी अन्याय-सा लगता हैl जिस राजा की प्रजा सरलता से उसके पास तक नहीं पहुँच सकती,और जो ध्यानपूर्वक न्याय विचार नहीं करता,वह राजा अपने पद से भ्रष्ट हो जाएगा,और बैरियों के न होने पर भी नष्ट हो जाएगाl वर्तमान में अपराधों की संख्या बढ़ने या बढ़ाने में राजनेताओं का बहुत बड़ा योगदान हैl जब तक जो राजनेता स्वयं अपराधी हैं,उन्हें दल से निकाला जाए और शीघ्र दंड दिया जाएl यदि अपराधी हों तो उनको कठोरता से नियमों का पालन कर चुनाव से बहिष्कृत किया जाए,पर प्रजातंत्र में मत के कारण ऐसा होना असंभव हैl पुलिस, वकील के साथ न्यायालय भी निष्पक्ष होकर दूध का दूध और पानी का पानी करे,यानी अपराधियों को नियमानुसार,बिना विलम्ब के दंड अवश्य मिलना चाहिएl

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

Leave a Reply