कुल पृष्ठ दर्शन : 360

विरोध बिल्कुल अनुचित,बारीकी से पढ़ने की जरूरत

इलाश्री जायसवाल
नोएडा(उत्तरप्रदेश)

*******************************************************

मुद्दा `नागरिकता संशोधन कानून`………….
‘नागरिकता संशोधन कानून’ को आलोचक,नागरिक तथा लेखक की दृष्टि से पढ़ा। इस कानून के विषय में पढ़ने पर मुझे ज्ञात हुआ कि इस कानून के तहत भारत सरकार बांग्लादेश,अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान देशों से आए हुए अल्पसंख्यक शरणार्थियों जो बौद्ध,हिंदू, सिख,जैन,पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता देगी। इसके लिए उनका यहां पर ५ वर्षों का आवास होना चाहिए,लेकिन इसमें उपरोक्त देशों के मुस्लिम धर्म के लोगों को शामिल नहीं किया गया है जिसके लिए मुस्लिम समुदाय इसका कड़ा विरोध कर रहा है। उनका यह विरोध बिल्कुल अनुचित है,उन्होंने इस कानून को बारीकी से नहीं पढ़ा बल्कि अपना नाम ना होने पर नाराजगी जताते हुए विरोध करना प्रारंभ कर दिया। इस कानून में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि हम सिर्फ अल्पसंख्यकों को नागरिकता देंगे। यहां यह बात गौर देने योग्य है कि उक्त धर्मों के लोग इन ३ देशों में भी अल्पसंख्यक ही हैं। मुस्लिम धर्म के लोग अल्पसंख्यकों में नहीं आते,ना हमारे देश में और ना ही इन तीनों देशों में,तो फिर इनको इस आधार पर नागरिकता देने का प्रश्न ही नहीं उठता। और किसी को भी नागरिकता देने से पहले उसको कुछ कानूनी प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ेगाl इसके साथ ही जब वे इस देश के नागरिक हो जाएंगे तब उन्हें इस देश के कानून और संविधान को मानने और अपनाने के लिए प्रतिबद्ध भी होना पड़ेगा। ऐसा ना करने की स्थिति में उनकी नागरिकता रद्द की जा सकती हैl मेरे विचार से यह कानून लाना उत्तम प्रयास है,क्योंकि इससे हम उन लोगों को कानूनी रूप से अपना बना लेंगे,जिन्हें दूसरे देशों ने बहिष्कृत कर दिया हैl भारत हमेशा से ही वसुधैव कुटुंबकम,अहिंसा और प्रेम के मार्ग पर चलने वाला देश रहा है,लेकिन कुछ लोग या कुछ देश हमारे इन्हीं सब गुणों को हमारी कमजोरी मानते हैं,तथा इनका अनुचित फायदा उठाते हैंl इसलिए हम अपनी नीतियों को छोड़ तो नहीं सकते,लेकिन उनको अपनाते समय कतिपय सावधानियां तो रख सकते हैं,यह कानून इसी सावधानी का ही एक प्रमाण है। मुस्लिम समुदाय इस कानून का विरोध क्यों कर रहा है ? वे तो अल्पसंख्यक नहीं हैं,और इस कानून में कहीं भी उनके लिए अपमानजनक बात नहीं की गई है। अगर वह सचमुच हमारे यहां आना चाहते हैं,रहना चाहते हैं तो उनका भी स्वागत है,लेकिन जो नियम-कानून है,उनका उन्हें अवश्य पालन करना चाहिए। इस प्रकार से विरोध करना या असामाजिक तत्वों को भड़काना भी तो देश के लिए उचित नहीं है। अगर वे सचमुच इस देश का,कानून का सम्मान करते हैं,यहां पर आकर रहना चाहते हैं तो सबसे पहले उन्हें अपनी बात कहने के तरीके को सुधारना पड़ेगा। विरोध जताएं,लेकिन इसके लिए अपनी और देश की मर्यादा को ध्यान में रखें। मेरा मानना है कि,इस कानून के लागू करने से देश में घुसपैठियों पर नजर रखी जा सकेगी और आतंकवादी गतिविधियों को रोका जा सकेगाl इसके लिए हमें सभी का साथ भी मिलेगा,क्योंकि तब कोई यह नहीं कह सकेगा कि यह मेरा देश नहीं है,मैं तो मात्र शरणार्थी हूँ,बल्कि वे सोचेंगे और कहेंगे भी,-“यह देश मेरा है और मैं इस देश का। मैं भी तो इस मिट्टी के लिए कुछ करूं,जब किसी ने मुझे नहीं अपनाया तो यहां के लोगों ने मुझे गले लगाया।”

परिचय-इलाश्री जायसवाल का जन्म १९७८ में २५ जून को हुआ हैl अमरोहा में जन्मीं हैंl वर्तमान में नोएडा स्थित सेक्टर-६२ में निवासरत हैंl उत्तर प्रदेश से सम्बन्ध रखने वाली इलाश्री जायसवाल की शिक्षा-एम.ए.(हिंदी-स्वर्ण पदक प्राप्त) एवं बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-हिंदी अध्यापन हैl लेखन विधा-कविता,कहानी,लेख तथा मुक्तक आदि हैl इनकी रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा पोर्टल पर भी हुआ हैl आपको राष्ट्रीय हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार व काव्य रंगोली मातृत्व ममता सम्मान मिला हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी-साहित्य सेवा हैl इनके लिए जीवन में प्रेरणा पुंज-माता तथा पिता डॉ.कामता कमलेश(हिंदी प्राध्यापक एवं साहित्यकार)हैंl