वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)
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इश्क़ में क्यों उसे ग़मज़दा कर दिया,
सोचता हूँ कि मैंने ये क्या कर दिया।
बातें करता रहा वो मुहब्बत भरी,
और मैंने उसे अनसुना कर दिया।
इश्क़ की दास्तां छेड़कर आपने,
दर्द को बेवजह दो गुना कर दिया।
ज़िस्म दो हैं भले जान तो एक है,
क्यूँ ज़माने ने हमको जुदा कर दिया।
वो गया फूल देकर मुझे ख़्वाब में,
हक़ मुहब्बत का उसने अदा कर दिया।
याद ‘आकाश’ आने लगा वो बहुत,
जिसको मिलने से मैंने मना कर दिया।
परिचय–वकील कुशवाहा का साहित्यिक उपनाम आकाश महेशपुरी है। जन्म तारीख १५ अगस्त १९८० एवं जन्म स्थान ग्राम महेशपुर,कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)है। वर्तमान में भी कुशीनगर में ही हैं,और स्थाई पता यही है। स्नातक तक शिक्षित श्री कुशवाहा क़ा कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षक)है। आप सामाजिक गतिविधि में कवि सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक बुराईयों पर प्रहार करते हैं। आपकी लेखन विधा-काव्य सहित सभी विधाएं है। किताब-‘सब रोटी का खेल’ आ चुकी है। साथ ही विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आपको गीतिका श्री (सुलतानपुर),साहित्य रत्न (कुशीनगर) शिल्प शिरोमणी सम्मान (गाजीपुर)प्राप्त हुआ है। विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी से काव्यपाठ करना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-रुचि है।