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होली

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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रचना शिल्प-८,८, ८,७ वर्ण, संयुक्त वर्ण एक ही माना जाता है।
कुल ३१ वर्ण-१६,१५, पर यति हो,( , )
पदांत गुरु(२) अनिवार्य है,चार पद सम तुकांत हो,चार पदों का एक छंद कहलाता है।)

रूप रंग वेष भूषा,
भिन्न राज्य और भाषा,
देश हित वीर वर,
बोल भिन्न बोलियाँ।

सीमा पर रंग सजे,
युद्ध जैसे शंख बजे,
ढूँढ-ढूँढ दुष्ट मारे,
सैनिकों की टोलियाँ।

भारतीय जन वीर,
धारते हैं खूब धीर,
मारते हैं शत्रुओं को,
झेलते हैं गोलियाँ।

फाग गीत मय चंग
खेलते हैं सब रंग,
देश हित खेलते हैं,
खून से भी होलियाँ।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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