कुल पृष्ठ दर्शन : 236

You are currently viewing गजानन बनना इतना आसान कहाँ…!

गजानन बनना इतना आसान कहाँ…!

मधु मिश्रा
नुआपाड़ा(ओडिशा)
******************************************************************

गणेश चतुर्थी विशेष………..

क्या कर सकेगा कोई,दृढ़ता से,
गणेश की तरह,अपनी माँ की रक्षा!
रक्षा की प्रतिबद्धता में जो,
सर तक कटाने के लिए रहे अटल!
माँ के लिए जिनके भाव रहे,
अमृत की तरह निर्मलll

क्या कर सकेगा कोई उनके जैसी,
मातृ-पितृ भक्ति!
उनमें ही नज़र आ गए जिन्हें,
ब्रम्हांड के तीनों लोक!
उनकी ही तीन परिक्रमा की फ़िर,
लगा ली बेहतर युक्ति…ll

क्या ले सकेगा कोई,
गज…आनन….के जैसा स्वरुप!
असंभव था उनकी तरह बनना,
और कठिन अग्निपरीक्षा से गुज़रनाl
हुए सफ़ल तभी तो पाया,
गणनायक का अधिकार…l
प्रथम पूज्य गणनायक तुम्हें…,
नमन है बारम्बारll

परिचय-श्रीमती मधु मिश्रा का बसेरा ओडिशा के जिला नुआपाड़ा स्थित कोमना में स्थाई रुप से है। जन्म १२ मई १९६६ को रायपुर(छत्तीसगढ़) में हुआ है। हिंदी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती मिश्रा ने एम.ए. (समाज शास्त्र-प्रावीण्य सूची में प्रथम)एवं एम.फ़िल.(समाज शास्त्र)की शिक्षा पाई है। कार्य क्षेत्र में गृहिणी हैं। इनकी लेखन विधा-कहानी, कविता,हाइकु व आलेख है। अमेरिका सहित भारत के कई दैनिक समाचार पत्रों में कहानी,लघुकथा व लेखों का २००१ से सतत् प्रकाशन जारी है। लघुकथा संग्रह में भी आपकी लघु कथा शामिल है, तो वेब जाल पर भी प्रकाशित हैं। अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में विमल स्मृति सम्मान(तृतीय स्थान)प्राप्त श्रीमती मधु मिश्रा की रचनाएँ साझा काव्य संकलन-अभ्युदय,भाव स्पंदन एवं साझा उपन्यास-बरनाली और लघुकथा संग्रह-लघुकथा संगम में आई हैं। इनकी उपलब्धि-श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान,भाव भूषण,वीणापाणि सम्मान तथा मार्तंड सम्मान मिलना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-अपने भावों को आकार देना है।पसन्दीदा लेखक-कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद,महादेवी वर्मा हैं तो प्रेरणापुंज-सदैव परिवार का प्रोत्साहन रहा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी मेरी मातृभाषा है,और मुझे लगता है कि मैं हिन्दी में सहजता से अपने भाव व्यक्त कर सकती हूँ,जबकि भारत को हिन्दुस्तान भी कहा जाता है,तो आवश्यकता है कि अधिकांश लोग हिन्दी में अपने भाव व्यक्त करें। अपने देश पर हमें गर्व होना चाहिए।”