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मालिक हूँ

मोनिका शर्मा
मुंबई(महाराष्ट्र)
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`ऐ बंदे,क्या सोच रहा है ?

क्या फिर कोई ख्याल तुझे नोच रहा है ?

कहीं पीड़ा तुझे तो नहीं हो रही,

कि यह श्वान तेरे इलाके में अपना गड्ढा खोद रहा है ?’

‘ऐ मालिक!

लाया हूँ हड्डियाँ

इन्हें महफूज़ और यह जगह रखना खाली,

जो यह कहकर छोड़ जाते हैं समान अपना

मैं करता उनकी रखवाली हूँ,

ऐ कब्र,नहीं हो रही पीड़ा मुझे

मैं तो ऐसे किरायेदारों का मालिक हूँ।`

`ऐ बंदे,क्या तुझे छल आता है,

रखकर अपना शरीर मुझमें

क्या तू सैर पर निकल जाता है ?`

`ऐ कब्र,मेरी सैर इस कब्रिस्तान में

मुलाकात करता हूँ तेरी सखियों से,

पंचायत होती है हर शाम यहाँ

मैं मुखिया हूँ उसका सदियों से।

क्या तू जानती है उनको

जो रिश्तेदार आए हैं रहने पड़ोस में ?`

‘ऐ बंदे,यह तो खुदा की मर्जी है,

हाँ,कह तो रही थी छोटी-`पड़ोसी फूलों से सजी है।`

शाम को पंचायत में जाओगे,

तो क्या आते वक्त कहीं से मेरे सजने के लिए पुष्प ले आओगे ?`

‘ऐ कब्र,कुछ दिनों बाद मेरा जन्मदिन है,

शायद इस बार मेरे घरवाले आएंगे

उस दिन मैं विश्राम करूँगा,

और वे तुझे सजाकर चले जाएगें।`

`ऐ बंदे,बता ज़रा,

जो इतने सालों में न आए

क्या वे आज आएंगे भला ?`

‘ऐ कब्र,यह तुझ पर पड़ रही किसकी छाया है ?

बता ज़रा मुझे भेंट देने कौन आया है ?

क्या रंग-बिरंगे पुष्पों की पहनी तूने साड़ी है ?

ऐ कब्र,बता ज़रा किस-किसने दुआ पढ़ी है ?

ऐ कब्र,बता ज़रा किसने गड्ढा खोदा ?

क्या तुझे महकती बगिया बनाने को,

लगा गया कोई पौधा ?`

‘ऐ मालिक,मैं तुमको यह बताने आया हूँ,

जो हड्डियाँ महफूज़ रखकर गया था,उन्हें ले जाने आया हूँ।’

`ऐ बंदे,तुझे जन्मदिन मुबारक,

घरवालों ने नहीं

किरायेदार ने दी थी दस्तकl 

मेरे माथे पर रखीं पुष्प भेंट और तेरे अक़ीदत का गान गाया है,

संग लाया था अपने एक साथी,शायद नया किरायेदार आया हैll’

परिचय-मोनिका शर्मा की जन्म तिथि १४ मई २००४ तथा जन्म स्थान राजस्थान हैL इनका निवास नवी मुंबई में हैL यह फिलहाल नवी मुंबई स्थित विद्यालय में अध्ययनरत है। उपलब्धि औरंगाबाद में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए फुटसाल खेल में प्रथम स्थान और हिंदी भाषण प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर आना है। हिंदी-अंग्रेजी में कविता,कहानी और निबंध लिखने की शौकीन सुश्री शर्मा की मुख्य रुचि लेखन ही है।